टूटे हुए दिलों के अफ़सानो पर शायरी,,,,,,,,,,,,

टूटे हुए दिलों के अफ़सानो पर शायरी,,,,,,,,,,,,

मोहब्बत की नफ़ासत का बहाना भूल जाओगे,  हमारे ज़ख्म देखोगे निभाना भूल जाओगे, हमें तो दर्द माफिक है मौसम-ए-हिज्र में हमदम,  इसे तुम जी के देखोगे ज़माना भूल जाओगे। ————————————— दिल कहता है...