सोना बेचने का सही समय : सोना इस समय अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच चुका है और मौजूदा साल में अब तक 14% की बढ़ोतरी दर्ज कर चुका है। ऐसे में निवेशकों के लिए सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या अभी सोना बेचकर मुनाफा कमाना सही रहेगा, या इसे होल्ड कर आगे निवेश करना चाहिए? इस सवाल का जवाब पाने के लिए गोल्ड और इक्विटी के अनुपात को समझना जरूरी है, साथ ही भविष्य में संभावित बाजार परिस्थितियों पर भी नजर रखनी होगी।

पिछले 75 दिनों में सोने ने निवेशकों को 14% तक का रिटर्न दिया है। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले लगातार तीन वर्षों तक सोने ने निवेशकों को 17% की वार्षिक बढ़त दिलाई, जो सेंसेक्स के 11.5% औसत रिटर्न से कहीं अधिक है। मौजूदा समय में सोना, शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म दोनों दृष्टिकोण से शेयर बाजार से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। हालांकि, यह तुलना तब की जा रही है जब सोना अपने सर्वोच्च स्तर पर है और शेयर बाजार में गिरावट देखी गई है।

अब सबसे अहम सवाल यह है कि क्या निवेशकों के लिए सोना बेचकर मुनाफा बटोरने का सही समय आ गया है? इतिहास पर नजर डालें तो देखा गया है कि जब सोना ऊंचाई पर पहुंचने के बाद गिरा, तो उसे वापस उसी स्तर तक पहुंचने में लंबा समय लगा। ऐसे में जानकारों और आंकड़ों के आधार पर यह समझना जरूरी हो जाता है कि मौजूदा हालात में सोने को होल्ड करना सही रहेगा या इसे बेचकर मुनाफा लेना बेहतर होगा।

क्या गोल्ड पर आने वाला है संकट

विशेषज्ञों का मानना है कि सोने का शानदार प्रदर्शन जल्द ही थम सकता है। क्वांटम एएमसी के सीआईओ चिराग मेहता ने मीडिया रिपोर्ट में जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में चल रही विभिन्न कूटनीतिक वार्ताएं अंतरराष्ट्रीय माहौल को अधिक स्थिर बनाने में मदद कर सकती हैं। इसके अलावा, महंगाई पर नियंत्रण की स्थिति भी स्पष्ट होती दिख रही है, जिससे सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है।

वेंचुरा सिक्योरिटीज ने अपने एक नोट में संकेत दिया है कि मजबूत डॉलर और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की कम संभावना भी सोने की कीमतों पर दबाव बना सकती है।

विशेषज्ञों का कहना है कि निकट भविष्य में सोने का रिस्करिटर्न अनुपात इसके पक्ष में नहीं है। यदि सोने के पिछले मूल्य व्यवहार को संकेतक माना जाए, तो यह ओवरबॉट स्थिति में नजर आ रहा है। उदाहरण के लिए, 1970 के दशक से किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि सोने की कीमत और उसके 200-दिनों के मूविंग एवरेज के बीच मौजूदा अंतर असामान्य रूप से बड़ा है। यह पैटर्न अक्सर अत्यधिक लाभ की अवधि के बाद सोने की कीमतों में लंबी कमजोरी की शुरुआत का संकेत देता है।

गोल्ड क्यों हो सकता है धड़ाम

एडलवाइस एसेट मैनेजमेंट के एसवीपी निरंजन अवस्थी का मानना है कि फिलहाल सोना इक्विटी से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है, लेकिन भविष्य में यह रुख बदल सकता है। उन्होंने कहा कि 1999 से सेंसेक्सटूगोल्ड रेश्यो के विश्लेषण से पता चलता है कि जब यह अनुपात 1 से कम होता है, तो अगले तीन वर्षों में इक्विटी बेहतर प्रदर्शन करती है, और जब यह 1 से अधिक होता है, तो सोना आगे निकल जाता है। मौजूदा रेश्यो 0.96 है, जो दीर्घकालिक औसत से कम है, जिससे संकेत मिलता है कि सोने की कीमतें उच्च स्तर पर हैं। अवस्थी का कहना है कि अगले तीन वर्षों में इक्विटी सोने से आगे बढ़ सकती है। ऐतिहासिक पैटर्न दर्शाते हैं कि सोना भी साइक्लिकल होता हैजहां अत्यधिक लाभ के बाद अक्सर लंबी गिरावट का दौर आता है, जो निवेशकों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है।

बीते 50 साल का इतिहास

इसे एक उदाहरण से समझते हैं। जनवरी 1980 में सोने की कीमतें अपने सर्वोच्च स्तर पर थीं, लेकिन इसके बाद दो वर्षों में इसमें 56% की गिरावट आई। सोने को फिर से अपने उच्चतम स्तर तक पहुंचने में करीब 10 साल लग गए, और नवंबर 1989 में इसने नया शिखर छुआ। इसी तरह, नवंबर 2012 में सोने की कीमतें अपने पीक पर थीं, जिसके बाद अगले ढाई साल में इसमें 30% की गिरावट देखी गई। सोने ने नया शिखर 2019 में, यानी 6 साल 7 महीने बाद हासिल किया। इसी तरह, फरवरी 1996 में भी सोने ने उच्चतम स्तर छुआ था, लेकिन अगले साढ़े तीन वर्षों में इसकी कीमतों में 30% की गिरावट आई, और इसे दोबारा उसी स्तर तक पहुंचने में 6 साल 4 महीने लगे।

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सोने की कीमतों में गिरावट

सोमवार को देश के वायदा बाजार में सोने की कीमतों में गिरावट देखी गई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर सुबह 11:20 बजे सोना 191 रुपए की गिरावट के साथ 87,800 रुपए प्रति दस ग्राम पर ट्रेड कर रहा था। कारोबारी सत्र के दौरान यह 87,692 रुपए तक गिर गया, जो दिन का निचला स्तर था। खास बात यह है कि शुक्रवार को सोना 88,310 रुपए के साथ अपने अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था, लेकिन तब से अब तक इसमें 510 रुपए की गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि, आज की गिरावट को छोड़ दें तो इस साल सोने ने निवेशकों को करीब 14% का रिटर्न दिया है, जिससे इसकी कीमत में 10,500 रुपए से अधिक की वृद्धि हो चुकी है।

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