इंडियन वेजिटेबल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। नए नियमों के तहत तेल निर्माताओं को अब अपनी फैक्ट्री का पता, उत्पादन क्षमता जैसी जानकारी साझा करते हुए दिल्ली स्थित शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल निदेशालय से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करना होगा।
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सरकार ने खाद्य तेल उद्योग के लिए नए दिशानिर्देश जारी किए हैं, जिनके अनुसार तेल उत्पादकों को अब सख्त रजिस्ट्रेशन और रिपोर्टिंग प्रक्रिया का पालन करना होगा। इस फैसले का उद्देश्य फेस्टिव सीजन से पहले बाजार में आने वाले निम्न गुणवत्ता वाले खाने के तेल की बिक्री पर पूरी तरह रोक लगाना है।
1 अगस्त को उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 2025 वेजिटेबल ऑयल प्रोडक्ट्स, प्रोडक्शन एंड अवेलेबिलिटी (VOPPA) रेगुलेशन ऑर्डर अधिसूचित किया है। यह नया आदेश 1955 के आवश्यक वस्तु अधिनियम के तहत 2011 में लागू पुराने आदेश की जगह लेगा।
तेल मिल को हर 15 तारीख को देनी होगी ये जानकारी
नए नियमों के अनुसार, तेल निर्माताओं को अब अपनी फैक्ट्री का पता, उत्पादन क्षमता और अन्य आवश्यक जानकारी साझा कर दिल्ली स्थित शुगर एंड वेजिटेबल ऑयल निदेशालय से रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट प्राप्त करना अनिवार्य होगा। साथ ही, हर उत्पादक को प्रत्येक महीने की 15 तारीख तक अपनी फैक्ट्री में तेल के उपयोग, उत्पादन, बिक्री और स्टॉक से जुड़ी जानकारी सरकार को उपलब्ध करानी होगी, ताकि सप्लाई चेन पर निगरानी रखी जा सके और उपभोक्ताओं तक खाने का तेल उचित कीमतों पर पहुंच सके।
गलती पर जब्त होगा स्टॉक
नए आदेश में निरीक्षण और कार्रवाई की शक्तियों को और सशक्त किया गया है। अब निदेशक को फैक्ट्री का निरीक्षण करने, आवश्यक जानकारी मांगने और गलत रिपोर्ट मिलने पर स्टॉक जब्त करने का अधिकार होगा। नियमों का पालन न करना सख्त रूप से प्रतिबंधित रहेगा। इस संशोधन में कुछ परिभाषाओं को भी स्पष्ट किया गया है, जैसे प्रोड्यूसर, वेजिटेबल ऑयल और डायरेक्टर की परिभाषाएं अब आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 और सांख्यिकी संग्रह अधिनियम 2008 के अनुसार तय की गई हैं।
पुराने आदेश में इस्तेमाल किए गए कुछ पुराने शब्द, जैसे de-oiled meal या edible flour, हटा दिए गए हैं। साथ ही शेड्यूल-III और पैरा 13 को समाप्त कर नियमों को और सरल बनाया गया है। अब “क्लॉज” शब्द की जगह “पैरा” और “चीफ डायरेक्टर” की जगह केवल “डायरेक्टर” शब्द का उपयोग किया जाएगा।
IVPA ने किया सरकार के फैसले का स्वागत
इंडियन वेजिटेबल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IVPA) ने सरकार के इस निर्णय का स्वागत किया है। IVPA का कहना है कि सरकार की मुख्य चिंता यह रही है कि तेल उद्योग में सही और पूर्ण जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाती, जिससे नीतियां बनाने में कठिनाई आती है। IVPA के अनुसार, संगठित क्षेत्र में नियमों का पालन सही तरीके से होता है और डेटा आसानी से उपलब्ध हो जाता है, लेकिन असंगठित क्षेत्र की छोटी–छोटी तेल मिलों और यूनिट्स में यह प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण रहेगी।
इसके बावजूद संगठन को भरोसा है कि समय के साथ डेटा की गुणवत्ता में सुधार होगा, जिससे सरकार, किसान, उपभोक्ता और उद्योग सभी को लाभ मिलेगा। 2025 का यह नया आदेश खाने के तेल की सप्लाई को स्थिर रखने के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।