डिपॉजिट रेट में कटौती : पोस्ट ऑफिस की बचत योजनाएं वर्तमान में एक वर्ष की फिक्स्ड डिपॉजिट पर 6.9% ब्याज दर दे रही हैं। हालांकि, ब्याज दरों में हालिया कटौती के चलते आने वाले समय में इन रेट्स में बदलाव संभव है। जल्द ही 3 करोड़ रुपए से कम की खुदरा डिपॉजिट पर भी ब्याज दरों में कटौती की जा सकती है।
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भारतीय रिजर्व बैंक ने हाल ही में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती करते हुए इसे 6% से घटाकर 5.5% कर दिया है। यह लगातार तीसरी बार है जब RBI ने रेपो रेट में कटौती की है — इससे पहले फरवरी और अप्रैल में 25-25 बेसिस प्वाइंट की कटौती हो चुकी है। इस बदलाव के बाद बैंक अब नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए नई रणनीतियों और योजनाओं पर काम कर रहे हैं।
ईटी की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंक अधिकारी और निवेश सलाहकार मानते हैं कि फिक्स्ड डिपॉजिट–लिंक्ड क्रेडिट कार्ड्स, स्वीप–इन डिपॉजिट और सेविंग अकाउंट–लिंक्ड होम लोन जैसे प्रोडक्ट्स का प्रचार अब पहले से अधिक जरूरी हो गया है। वरिष्ठ नागरिक अधिकतर सरकारी बचत योजनाओं को प्राथमिकता देंगे, जबकि युवा वर्ग शॉर्ट टर्म डेट फंड्स की ओर आकर्षित होंगे। बैंकों के पास पहले से ही ऐसे विकल्प मौजूद हैं, जैसे कि मंथली स्वीप–इन के साथ एफडी और ऐसे होम लोन जो सेविंग अकाउंट के अतिरिक्त बैलेंस को भी ध्यान में रखते हैं।
भारतीय स्टेट बैंक और ICICI बैंक
ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, ऑनलाइन फाइनेंशियल मार्केटप्लेस बैंकबाजार.कॉम के सीईओ आदिल शेट्टी ने बताया कि बैंकों ने पहले ही बदलाव की प्रक्रिया शुरू कर दी है। उन्होंने कहा, “हम कई तरह के प्रोडक्ट्स और विभिन्न बैंकों की दरों में अंतर देख रहे हैं। उदाहरण के लिए, छोटे वित्तीय बैंक प्रमुख वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में अधिक ब्याज दरें दे रहे हैं।”शेट्टी ने आगे कहा कि रेपो रेट में बड़ी कटौती और कैश रिवर्स रेश्यो में 1% की कमी से सिस्टम में अधिक नकदी आने की संभावना है, जिससे डिपॉजिट रेट्स में और तेज गिरावट आ सकती है।
भारतीय स्टेट बैंक द्वारा एक साल के फिक्स्ड डिपॉजिट पर ब्याज दर फिलहाल 6.5% से घटकर करीब 6% तक आने की संभावना है। वहीं, आईसीआईसीआई बैंक जैसे कुछ लेंडर्स ने पहले ही अपनी होलसेल डिपॉजिट रेट्स में कटौती शुरू कर दी है। अगले हफ्ते तक 3 करोड़ रुपए से कम की रिटेल डिपॉजिट रेट्स में भी गिरावट की उम्मीद है। इसके साथ ही, बैंक पहले ही खुदरा कर्ज दरों में कमी कर चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि कोविड-19 के दौर (2020-21) में जैसे ब्याज दरों में भारी कटौती हुई थी, उसी तरह अब फिर से जमा दरों में गिरावट देखने को मिल सकती है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह गिरावट कितनी गहरी होगी।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगी
एक्सिस बैंक के डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव आनंद ने कहा, “रेपो रेट 5.5% और सिस्टम में पर्याप्त लिक्विडिटी के चलते ओवरनाइट रेट्स को 5.25% पर बनाए रखना उचित है। इसका सीधा मतलब है कि एक साल की जमा दरें 6% से अधिक नहीं जा सकतीं।“
उन्होंने आगे कहा, “जो निवेशक अधिक रिटर्न चाहते हैं, उन्हें अपने फंड्स को रिस्की एसेट्स में लगाना होगा। मनी मार्केट रेट्स में गिरावट के साथ ही म्यूचुअल फंड के डेट इन्वेस्टमेंट्स पर रिटर्न भी घटेगा।” राजीव आनंद ने बताया कि केंद्रीय बैंक का मकसद है कि लोग ज्यादा खर्च करें—घर और कार जैसी चीजें खरीदें, क्रेडिट का उपयोग बढ़ाएं—ताकि अर्थव्यवस्था को गति मिले।
डेट म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए एक अच्छा ऑप्शन
वरिष्ठ नागरिक बचत योजना इस समय 8.2% की ब्याज दर दे रही है, लेकिन इसमें पांच साल का लॉक–इन पीरियड होता है। यदि तय समय से पहले धन निकाला जाए, तो प्रीमैच्योर विदड्रॉल पर पेनल्टी लगती है। वहीं, पोस्ट ऑफिस सेविंग स्कीम्स फिलहाल एक साल की जमा पर 6.9% ब्याज दे रही हैं, हालांकि ब्याज दरों में संभावित कटौती के चलते इसमें भी बदलाव हो सकता है। आदिल शेट्टी का मानना है कि डेट म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के लिए एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं, क्योंकि ये टैक्स–एफिशिएंट होने के साथ–साथ लिक्विड भी हैं—खासकर तब जब ब्याज दरों में गिरावट का दौर चल रहा हो।