Silver price today in India : वैसे चांदी की कीमतें अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से अब तक करीब 18% गिर चुकी हैं। खासतौर पर दिवाली के बाद से चांदी की मांग में उल्लेखनीय कमी आई है, जिसका मुख्य कारण वैश्विक स्तर पर ट्रेड टेंशन में कमी है। जब सेफ हैवन एसेट की जरूरत घटी, तब निवेशक चांदी से दूर हुए।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले एक साल में चांदी फिर से निवेशकों को 50% तक का रिटर्न दे सकती है।

पिछले दो हफ्तों में कीमतों में 18% गिरावट के बाद, शेयर बाजार से अलग वैकल्पिक निवेश की तलाश कर रहे निवेशक अब दोबारा चांदी में रुचि दिखा सकते हैं।
विश्लेषकों के अनुसार, मौजूदा कमजोरी के बावजूद अगले साल तक चांदी में 50% तक रिटर्न की संभावनाएं बनी हुई हैं।

मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च एनालिस्ट मानव मोदी का कहना है कि अगले कुछ महीनों में चांदी की कीमतें 50–55 डॉलर प्रति औंस के बीच स्थिर रह सकती हैं, हालांकि हाल के उच्च स्तरों से कुछ मुनाफावसूली की संभावना है।

उनका अनुमान है कि 2026 के अंत तक चांदी 75 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकती है। यदि डॉलर इंडेक्स 90 के आसपास स्थिर रहता है, तो घरेलू बाजार में चांदी की कीमतें 2,40,000 रुपये प्रति किलोग्राम तक जा सकती हैं।

Silver price today in India : रिकॉर्ड लेवल से कितना नीचे आई चांदी

अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतों में करीब 10.9% की गिरावट दर्ज की गई है। 16 अक्टूबर को यह 54.45 डॉलर प्रति औंस के उच्च स्तर पर थी, जो अब घटकर 48.59 डॉलर प्रति औंस पर आ गई है। वहीं, घरेलू बाजार में चांदी 14 अक्टूबर के ₹1,82,500 प्रति किलोग्राम से गिरकर ₹1,49,500 प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई है, यानी लगभग 18% की गिरावट

जोखिम उठाने की क्षमता में सुधार और वैश्विक व्यापार वार्ताओं में प्रगति के चलते सेफ हैवन निवेश की मांग में कमी आई है, जिससे निवेशकों की कीमती धातुओं, खासकर चांदी में रुचि घटी है।
यह गिरावट महीने की शुरुआत में आई तेज उछाल के बाद हुई मुनाफावसूली का परिणाम भी है।

पिछले एक वर्ष में, चांदी ने डॉलर के मुकाबले 44% और रुपए के मुकाबले 55.72% का शानदार रिटर्न दिया है।

क्या और कम होंगी चांदी की कीमतें?

अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि चांदी की कीमतों में आगे कितनी गिरावट संभव है?
विशेषज्ञों का मानना है कि सीमित सप्लाई और बढ़ती औद्योगिक मांग के चलते चांदी की कीमतें 50 से 55 डॉलर प्रति औंस के दायरे में स्थिर रह सकती हैं।

विश्लेषकों के अनुसार, ग्रीन एनर्जी सेक्टर और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती जरूरतें चांदी के दीर्घकालिक (लॉन्गटर्म) आउटलुक को मजबूत कर रही हैं।
डीएसपी म्यूचुअल फंड के पैसिव इन्वेस्टमेंट एंड प्रोडक्ट हेड अनिल घेलानी ने ईटी को बताया कि चांदी की सप्लाई सीमित है और हाल के वर्षों में इसमें लगातार गिरावट दर्ज की गई है।
साल 2025 में अनुमानित सप्लाई घाटा करीब 11.8 करोड़ औंस रहने की उम्मीद है, जो कीमतों में बढ़ोतरी का एक मुख्य कारक बन सकता है।

जानकारों का क्या मानना है?

घेलानी के अनुसार, जैसेजैसे दुनिया ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है, चांदी की खपत में उल्लेखनीय वृद्धि देखने को मिलेगी।
विश्लेषकों का कहना है कि सीमित माइनिंग, रीसाइक्लिंग में कमी और सप्लाई बाधाओं के कारण बाजार और सख्त होता जा रहा है, जिससे मध्यम अवधि में इस सफेद धातु की संभावनाएं मजबूत हुई हैं।

हालिया तेज़ी के बाद, फंड मैनेजर्स का सुझाव है कि निवेशक गिरावट के दौर में धीरेधीरे खरीदारी करें, लेकिन कुल पोर्टफोलियो का केवल 3-7% हिस्सा ही चांदी में लगाएं।
मनी मंत्रा के फाउंडर विरल भट्ट ने ईटी को बताया कि मौजूदा जबरदस्त उछाल के बाद बड़ी एकमुश्त खरीदारी या जरूरत से ज्यादा निवेश से बचना चाहिए, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से चांदी एक अत्यधिक अस्थिर संपत्ति रही है और इसमें शॉर्टटर्म गिरावट का जोखिम हमेशा बना रहता है।

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