विजय 69  : अनुपम खेर पिछले 40 वर्षों से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं। अपने इस अद्भुत करियर में उन्होंने 600 से अधिक फिल्मों में अभिनय किया है। हाल ही में उनकी फिल्मविजय 69′ ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है, जिसमें वह मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं।

अनुपम खेर की फिल्मविजय 69’ नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीमिंग हो चुकी है। यह एक साधारण व्यक्ति की प्रेरणादायक कहानी है, जो दर्शकों का दिल जीत रही है। फिल्म का निर्देशन अक्षय रॉय ने किया है। 69 साल की उम्र में अनुपम खेर ने इस फिल्म के लिए कड़ी मेहनत की, और उनकी मेहनत का परिणाम फिल्म को मिल रही सफलता में साफ झलकता है। हाल ही में टीवी9 हिंदी डिजिटल को दिए गए एक इंटरव्यू में अनुपम खेर ने कहा कि फिल्म करते वक्त ऐसा महसूस हो रहा था जैसे यह केवल विजय की ट्रायथलॉन नहीं, बल्कि मेरी भी ट्रायथलॉन है।

आप को नहीं लगता कि काफी समय के बाद एक ऐसी फिल्म आई है, जो लोगों को ऋषिकेश मुख़र्जी, बासु चटर्जी के एरा की याद दिलाती है?

मैंने इस पर पहले कभी विचार नहीं किया था, लेकिन अब जब आपने यह बात कही है, तो मैं इसे महसूस कर सकता हूं। बासु दा और ऋषिकेश मुखर्जी की खासियत यह थी कि वे आम आदमी पर आधारित फिल्में बनाते थे। उनकी कहानियां हमेशा मिडिल क्लास लोगों की होती थीं, लेकिन उन्होंने कभी उन्हेंबेचाराके रूप में पेश नहीं किया।विजय 69′ में भी विजय ने खुद को कभी कमजोर नहीं माना, लेकिन उसके आसपास की दुनिया उसे बूढ़ा साबित करने में लगी रहती है। हमने इस पहलू पर कभी चर्चा नहीं की थी, लेकिन हां, इस फिल्म में आप बासु चटर्जी की झलक जरूर देख सकते हैं।

जो किरदार देखने में सहज लगते हैं, क्या उन्हें पर्दे पर दिखाना मुश्किल होता है?

जी हां, मेरा मानना है कि आम आदमी का किरदार निभाना बेहद चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि वह कभी हीरो बनने की कोशिश नहीं करता। अपने करियर में मैंने कई बार आम आदमी का किरदार निभाया है, चाहे वह खोसला का घोसला हो, सारांश हो या फिर विजय 69 ये सभी आम आदमी की कहानियां हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनकी कहानियां साधारण होते हुए भी खास बन जाती हैं, और उन्हें पर्दे पर जीवंत करना आसान नहीं होता। लेकिन विजय 69 की लोकप्रियता की वजह इससे कहीं बढ़कर है।

अगर विजय 69 को अक्षय ओबेरॉय के अलावा कोई और निर्देशक बनाते, तो शायद यह फिल्म लोगों को इतनी पसंद नहीं आती। अक्षय की संवेदनशीलता ही इस फिल्म को खास बनाती है, जिसकी वजह से यह दर्शकों के दिलों को छू रही है। मुझे इस फिल्म के लिए हजारों संदेश मिले हैं, और इनमें सिर्फ मिडिल क्लास लोग ही नहीं, बल्कि समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हैं। सभी को ऐसा महसूस हो रहा है जैसे यह उनकी अपनी कहानी है। यह फिल्म हर उस व्यक्ति की कहानी है जो अपने अस्तित्व को साबित करने की जद्दोजहद में जुटा है।

इस फिल्म को लेकर क्यों विश्वास था आपको कि लोगों को ये कहानी पसंद आएगी?

विजय 69 के बारे में लोग मुझसे कह रहे हैं कि इस किरदार को मुझसे बेहतर कोई और नहीं निभा सकता था। उनका कहना है कि वे इस भूमिका में किसी और को देख ही नहीं सकते। मुझे शुरू से विश्वास था कि मैं इस फिल्म को दर्शकों के दिलों तक पहुंचा सकता हूं। और आज, जब 99.99 प्रतिशत लोग यह कह रहे हैं कि यह भूमिका मेरे अलावा कोई और निभा नहीं सकता था, तो यह मेरे लिए सबसे बड़ा प्रमाण है।

इस किरदार की तैयारी करते समय सबसे मुश्किल बात क्या थी?

मैंने 69 साल की उम्र में यह किरदार निभाया, और शारीरिक रूप से इसे निभाना बिल्कुल आसान नहीं था। क्योंकि यह किरदार न केवल अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में सक्रिय रहता है, बल्कि ट्रायथलॉन में भी हिस्सा लेता है। हालांकि, इस फिल्म की सिर्फ दो पंक्तियां पढ़ने के बाद ही मैंने इसे करने के लिए हां कह दी। जब टीम ने मुझसे इसकी वजह पूछी, तो मैंने कहा कि मेरी मां हमेशा कहती थीं कि चावल पक गए हैं या नहीं, यह जांचने के लिए एक दाना ही काफी होता है।

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