मेरा नाम जोकर रूस कनेक्शन : भारत और रूस पिछले सात दशकों से घनिष्ठ मित्र देशों के रूप में जुड़े रहे हैं। दोनों देशों के सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने में सिनेमा ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हिंदी फिल्मों की बात आते ही राज कपूर का नाम सबसे पहले ज़ेहन में आता है—वही राज कपूर जिन्होंने पर्दे पर गुनगुनाया था, “सिर पे लाल टोपी रूसी, फिर भी दिल है हिंदुस्तानी।” उन्होंने अपने सिनेमा के जरिए भारत–रूस रिश्तों में नई मजबूती और नई गर्माहट जोड़ी। इसी उद्देश्य से उन्होंने मेरा नाम जोकर बनाई, जिसमें रूसी अभिनेत्री का मशहूर संवाद “दसविदानिया” आज भी दर्शकों की यादों में सुरक्षित है। इसका अर्थ है—“फिर मिलेंगे।” इस संवाद और फिल्म का महत्व आज भी सांस्कृतिक जुड़ाव की मिसाल के रूप में समझा जाता है।
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राज कपूर की मेरा नाम जोकर भारत–रूस की सांस्कृतिक साझेदारी की अनोखी कहानी कहती है। इस फिल्म की रूसी एक्ट्रेस सेनिया रियाबिनकिना (Kseniya Ryabinkina) और उनका रूसी संवाद दसविदानिया—समय के साथ हिंदी फिल्मों के नॉस्टेल्जिया का हिस्सा बन चुका है। इसे याद करते ही दर्शक आज भी भावुक हो जाते हैं। दसविदानिया यानी “फिर मिलेंगे।” इससे पहले आवारा और श्री 420 जैसी फिल्मों ने रूस में राज कपूर की लोकप्रियता का ऐसा आलम बनाया कि उनके गाने “आवारा हूं…” और “सिर पे लाल टोपी रूसी…” मॉस्को से लेकर पूरे सोवियत संघ में धूम मचा गए थे। उन यादों का असर आज भी कायम है।
साठ के दशक में राज कपूर को रूस में अद्भुत प्रतिष्ठा प्राप्त थी। वहां उनके गानों, उनके किरदारों और उनकी कहानियों को बेहद पसंद किया जाता था। इसी ऐतिहासिक अवसर को समझते हुए उन्होंने 1970 में मेरा नाम जोकर का निर्माण किया—करीब साढ़े तीन घंटे लंबी यह फिल्म दो इंटरवल्स के साथ एक तरह की सिनेमाई महागाथा थी। लगभग 1.35 करोड़ रुपये की लागत में बनी यह फिल्म उस समय के हिसाब से बेहद महंगा प्रोजेक्ट माना गया। कहानी में उन्होंने रूसी कलाकारों को शामिल किया और जीवन के दार्शनिक पहलुओं को भी खूबसूरती से गूंथा।
दसविदानिया रोमांटिक अहसास जगाने वाला शब्द
मुझे भी याद है कि अस्सी के दशक में दसविदानिया एक तरह के रोमांटिक एहसास को जगाने वाला बेहद लोकप्रिय संवाद बन गया था। कॉलेज परिसरों में युवा अक्सर इस शब्द का इस्तेमाल करते हुए अपने प्रेम का इशारा किया करते थे। दसविदानिया का अर्थ था—फिर मिलेंगे या अलविदा। जब दो प्रेमी बिछड़ते, तो रूसी भाषा में यही कहते—दसविदानिया, यानी सी यू।ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत और रूस लगभग सात दशक से करीबी मित्र देश रहे हैं। समय के साथ रिश्तों में उतार–चढ़ाव आते रहे, लेकिन दोस्ती की गर्माहट कभी कम नहीं हुई। जब भी दोनों मुलाकातों के बाद अलग हुए, दिलों ने যেন एक ही बात कही—दसविदानिया।
राज कपूर की मेरा नाम जोकर को कल्ट फिल्म बनाने वाली कई खासियतें हैं, लेकिन सर्कस में करतब दिखाने वाली रूसी अभिनेत्री का आकर्षण सबसे अलग था। फिल्म में राज कपूर द्वारा निभाए गए राजू के किरदार का दिल उस रशियन युवती की मासूमियत पर आ जाता है। राजू खुद भी उसी सर्कस का जोकर होता है—जो अपने ऊपर हंसकर दुनिया को हंसाता था, और तमाशे में रंग भरता था। रशियन युवती की निष्कपटता राजू को भाती है, और राजू की सादगी, उसका दिलदार स्वभाव उस युवती को अपनेपन से भर देता है।
राजू न रशियन जानता था, न मरीना को हिंदी आती थी
इसी तमाशे के बीच सर्कस की रूसी कलाकार मरीना नाम की उस युवती ने भी राजू के दिल के दरवाज़े पर दस्तक दे दी। दोनों मिले, करीब आए, लेकिन दिलचस्प बात यह थी कि न तो मरीना हिंदी समझ पाती थी और न ही राजू रूसी भाषा जानता था। ऐसे में दोनों के बीच संवाद का एकमात्र सहारा था—डिक्शनरी। जब भी वे मिलते, एक–दूसरे के बोले शब्दों का अर्थ उसी शब्दकोश में ढूंढते और इस प्रक्रिया में उनका लगाव और गहरा होता जाता।इसी दौरान एक दिन मरीना ने कहा—दसविदानिया। राज कपूर चौंक गए कि इसका अर्थ क्या है। उन्होंने तुरंत डिक्शनरी में खोजा, जहाँ लिखा था—फिर मिलेंगे।
इसके बाद दोनों ने एक–दूसरे की भाषा सीखना शुरू किया। जब भी वे मिलते, राजू रूसी में दसविदानिया कहता और मरीना मुस्कराकर हिंदी में जवाब देती—फिर मिलेंगे। हालांकि कहानी के अंतिम हिस्से में, जब मरीना फ्लाइट से मॉस्को लौट रही होती है, तो पृष्ठभूमि में फिर वही गीत बज उठता है जिसने रूस में धूम मचाई थी—
“आवारा हूं… या गर्दिश में हूं आसमान का तारा हू इस दृश्य में भी राज कपूर का विजन साफ झलकता है। उन्होंने रूसी दर्शकों से भावनात्मक जुड़ाव गहरा करने के लिए उसी गीत का उपयोग किया, जो वहां अत्यंत लोकप्रिय था। मेरा नाम जोकर को रूस में खूब सराहा गया और दर्शकों ने फिल्म को भरपूर प्यार दिया।
दसविदानिया की दास्तान लोग आज भी नहीं भूले
राज कपूर की मेरा नाम जोकर को बने पचपन से अधिक वर्ष हो चुके हैं, लेकिन दसविदानिया से जुड़ी वह दिल छू लेने वाली कहानी आज भी लोगों के मन में ताज़ा है। इसी लोकप्रिय नॉस्टेल्जिया का प्रभाव था कि बाद के समय में एक फिल्म का शीर्षक भी दसविदानिया रखा गया, जिसमें हास्य कलाकार विनय पाठक ने प्रमुख भूमिका निभाई। हालांकि वह फिल्म बिल्कुल अलग रंग–ढंग की थी।
बताने वाली बात यह है कि मेरा नाम जोकर की कहानी में राजू के जीवन के तीन अलग–अलग पड़ावों पर तीन महिलाओं का प्रभाव दिखाई देता है—सिमी ग्रेवाल, निम्मी और अंत में रूसी युवती मरीना, जिसका किरदार सेनिया रियाबिनकिना ने निभाया था।
रूसी अभिनेत्री सेनिया आज भी अपनी अद्भुत सुंदरता और सादगी के लिए याद की जाती हैं। फिल्म में जब भी वह दोनों हाथ जोड़कर प्रणाम करतीं, उनकी वह मासूम अदा भारतीय दर्शकों को तुरंत अपना बना लेती थी। उस चेहरे की कोमल मुस्कान और दो दिलों की दोस्ती की वह कहानी याद आती है, तो आज के समय में भी अनायास मन कह उठता है—दसविदानिया।