सीता चरितम् मुंबई प्रीमियर : नीता मुकेश अंबानी कल्चरल सेंटर के ग्रैंड थियेटर में ‘सीता चरितम्’ का शानदार प्रीमियर हुआ, जिसमें 513 कलाकारों ने मिलकर रामायण की कहानी को एक नए, जीवंत और भावनात्मक अंदाज़ में प्रस्तुत किया। निर्देशक श्रीविद्या वर्चस्वी द्वारा निर्देशित इस शो ने पारंपरिक और आधुनिक कला रूपों का संगम प्रस्तुत किया, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। धारावी के बच्चों की भागीदारी ने इस प्रस्तुति को और भी अधिक मार्मिक और यादगार बना दिया।
Table of Contents
इस भव्य प्रीमियर के दौरान दर्शकों को ‘सीता’ के दृष्टिकोण से सुनाई गई रामायण की रहस्यमयी और मनोरम दुनिया में ले जाया गया, जहां 30 से अधिक पारंपरिक और समकालीन कला रूपों के साथ 4D लाइव आर्ट का अनुभव कराया गया। शो के अंत में दर्शकों ने 5 मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाईं, जो इस शानदार प्रस्तुति की सफलता का प्रमाण था।
कोरियोग्राफर और डांसर श्रीविद्या वर्चस्वी की रचनात्मक सोच और निर्देशन की खूब सराहना हुई। अभिनेता विक्रांत मैसी ने शो को “अद्भुत” बताया और कहा कि श्रीविद्या ने एक कलाकार और निर्देशक के रूप में शानदार काम किया है। वहीं अभिनेत्री हिना खान ने कहा, “पूरे प्रदर्शन के दौरान मेरे रोंगटे खड़े रहे। श्रीविद्या का सीता जैसा व्यक्तित्व और धारावी के बच्चों का लिप–सिंक परफॉर्मेंस देखने लायक था।”
इस कार्यक्रम में शहर की कई प्रतिष्ठित हस्तियों ने शिरकत की, जिनमें महाराष्ट्र हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस आलोक अराधे, टीवी और फिल्म अभिनेत्री अदा खान, प्रसिद्ध भजन गायिका अनुराधा पौडवाल, वेटरन अभिनेता पंकज बेरी और दलीप ताहिल जैसे नाम शामिल थे।
मुंबई में हुई इस प्रस्तुति को और भी खास बना दिया धारावी के ‘आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल’ के 50 से अधिक बच्चों की भागीदारी ने, जिनकी मंच पर आत्मविश्वास भरी उपस्थिति एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई कि कैसे कला और शिक्षा समाज के हाशिये पर खड़े समुदायों को न केवल सशक्त बना सकती है, बल्कि उन्हें मुख्यधारा से जोड़ भी सकती है।
दर्शकों के लिए, उन बच्चों को – जो वंचित पृष्ठभूमि से आते हैं – रामायण जैसी कालजयी गाथा को जीवंत करते देखना अत्यंत भावुक क्षण था, जिसने कार्यक्रम को एक गहरी संवेदनशीलता और प्रभाव प्रदान किया।
कार्यक्रम को बनाने में बहुत मेहनत की गई– अनुराधा पौडवाल
कार्यक्रम को लेकर गायिका अनुराधा पौडवाल ने कहा, “यह अनुभव वास्तव में अद्भुत था। इसमें जिस मेहनत और समर्पण से काम किया गया है, वह सराहनीय है। मुझे यह देखकर विशेष आनंद हुआ कि इतनी बड़ी संख्या में बच्चे इस भव्य प्रस्तुतिकरण का हिस्सा बने। यह हमारी समृद्ध संस्कृति को आगे बढ़ाने और नई पीढ़ी में धर्म और परंपरा के प्रति रुचि जगाने का एक प्रभावशाली माध्यम है। संपूर्ण प्रस्तुति बेहद सुंदर और बारीकी से तैयार की गई थी।
यह प्रस्तुति 20 से अधिक रामायण संस्करणों से प्रेरित है और इसमें गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के आध्यात्मिक ज्ञान की छाप स्पष्ट दिखाई देती है। स्क्रिप्ट दर्शकों को इस महाकाव्य की गहराई में पुनः प्रवेश करने के लिए प्रेरित करती है।
सीता के जीवन के विभिन्न आयामों — प्रेम, त्याग, अनुग्रह, ज्ञान और समर्पण — को जीवंत करने के लिए इस शो में शास्त्रीय नृत्य, लोक कलाएं, कठपुतली कला, मौलिक संगीत और डिजिटल तकनीक का बेजोड़ संगम देखने को मिला।
श्रीविद्या वर्चस्वी द्वारा अत्यंत संवेदनशीलता और कलात्मक निष्ठा के साथ निर्देशित यह प्रोडक्शन उनकी पिछली अंतरराष्ट्रीय प्रस्तुतियों जैसे न्यूयॉर्क के लिंकन सेंटर में द रिदम विदइन और नई दिल्ली के वर्ल्ड कल्चर फेस्टिवल में द कॉस्मिक रिदम की भव्य परंपरा को आगे बढ़ाता है — जिनमें 45 देशों से 4,600 से अधिक कलाकारों ने भाग लिया था।
मुंबई का रिस्पॉन्स बहुत बढ़िया रहा
प्रस्तुति के बाद अपनी प्रतिक्रिया साझा करते हुए श्रीविद्या वर्चस्वी ने कहा, “मुंबई के दर्शकों की प्रतिक्रिया बेहद शानदार रही। यह साबित करता है कि जब सीता जैसी गहरी और भावनात्मक कहानियों को सच्ची संवेदनशीलता और कलात्मक निष्ठा के साथ प्रस्तुत किया जाए, तो वे सीधे दिलों को छू जाती हैं। मेरे लिए यह यात्रा सीता के जीवन की गहराई को समझने की एक खोज रही है — उनके निर्णय, अनुभव और जीवन के स्वरूप ने मुझे व्यक्तिगत रूप से अत्यंत प्रेरित किया है। इस गूढ़ कथा को इस तरह पेश करना कि यह आज के दर्शकों को सुलभ और प्रासंगिक लगे, मेरे लिए बेहद संतोषजनक अनुभव रहा।
यह शो न केवल दर्शकों के लिए एक कला अनुभव रहा, बल्कि एक सामाजिक उद्देश्य को भी साधने वाला आयोजन बना। फंडरेजिंग इनिशिएटिव के रूप में इस भव्य प्रोडक्शन ने आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल्स की 1,327 शाखाओं में 1 लाख से अधिक ग्रामीण और आदिवासी बच्चों की शिक्षा में योगदान दिया है।
आने वाले महीनों में यह प्रस्तुतिकरण भारत के विभिन्न शहरों और अंतरराष्ट्रीय मंचों की यात्रा करेगा, जहां यह भक्ति, ज्ञान और नारीशक्ति की भावना को दर्शकों के हृदय तक पहुंचाने की अपनी रचनात्मक यात्रा को आगे बढ़ाएगा।