Kartik Aaryan Struggle : कार्तिक आर्यन का संघर्ष बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता कार्तिक आर्यन ने मुंबई में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही फिल्मों के लिए ऑडिशन देना शुरू कर दिया था। उन्होंने ढाई साल तक कड़ी मेहनत और संघर्ष किया, जिसके बाद उन्हें इंडस्ट्री में पहला बड़ा मौका मिला। खास बात यह है कि उनका ये सपना फेसबुक के जरिए सच हुआ।

आज कार्तिक आर्यन बॉलीवुड के सफल सितारों में गिने जाते हैं। साल 2011 में आई फिल्म प्यार का पंचनामा से डेब्यू करने वाले कार्तिक ने बेहद कम समय में बड़ी फैन फॉलोइंग हासिल की। एक दशक से ज्यादा के करियर में वे कई बार अपनी शानदार अदाकारी से दर्शकों का दिल जीत चुके हैं।

हालांकि, आपको जानकर हैरानी होगी कि कार्तिक के मातापिता उन्हें डॉक्टर बनते देखना चाहते थे, लेकिन उनका झुकाव हमेशा से एक्टिंग की ओर था। इस जुनून को पूरा करने के लिए उन्होंने ढाई साल तक लगातार संघर्ष किया।

ग्वालियर (मध्यप्रदेश) में जन्मे कार्तिक का असली नाम कार्तिक तिवारी है। फिल्मों में आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर कार्तिक आर्यन कर लिया। एक्टर बनने का सपना लेकर वे मुंबई पहुंचे, लेकिन यहां ऑडिशन के लिए उन्हें जगहजगह भटकना पड़ा। लंबी मेहनत और संघर्ष के बाद उन्हें पहला ब्रेक मिला, जिसमें फेसबुक ने अहम भूमिका निभाई।

Facebook के जरिए कैसे मिली फिल्म?

कार्तिक ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई मुंबई में पूरी की। पढ़ाई के दौरान ही वे फिल्मों के ऑडिशन देने जाते रहते थे। कॉलेज के तीसरे साल में ही उन्हें अपनी पहली फिल्म प्यार का पंचनामा का ऑफर मिला। इस फिल्म को हासिल करने का दिलचस्प किस्सा उन्होंने एक इंटरव्यू में साझा किया था।

कार्तिक को उनकी पहली फिल्म दिलाने में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक ने अहम भूमिका निभाई। उस समय उनका फेसबुक अकाउंट था और इसी प्लेटफॉर्म के जरिए उन्हें पता चला कि फिल्म के लिए नए चेहरों की तलाश की जा रही है। यह खबर मिलते ही उन्होंने ऑडिशन दिया, किस्मत ने साथ दिया और मेकर्स ने उन्हें इस फिल्म के लिए चुन लिया।

ढाई साल तक करना पड़ा संघर्ष

प्प्यार का पंचनामा से ब्रेक मिलने से पहले कार्तिक को मुंबई में काफी संघर्ष करना पड़ा। जब वह पहली बार मुंबई आए, तो उन्हें 12 अन्य स्ट्रगलिंग एक्टर्स के साथ एक ही जगह रहना पड़ा। पैसों की तंगी इतनी थी कि गुज़ारा करने के लिए वे अपने साथ रहने वाले एक्टर्स के लिए खाना बनाते थे और बदले में उन्हें कुछ पैसे मिल जाते थे।

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