मुंबई: जिसके बाजुओं में दम हो उसे ही धरम पाजी कहते है. पर्दे पर अगर सचमुच में कोई बलशाली एक्टर दिखा, वह धर्मेंद्र (Dharmendra) ही थे. धरम पाजी के फाइट सीन देखकर, दर्शकों को असली लड़ाई का मजा आता था. ऐसे एक्टर ने कई फिल्मों में जानवरों के साथ भी 2-2 हाथ किया हैं. धर्मेंद्र की हिम्मत को देख कई बार डायरेक्टर-प्रोड्यूसर भी घबरा जाते थे. आज धर्मेंद्र-रेखा (Rekha) स्टारर फिल्म ‘कर्तव्य’ में, एक्टर की जांबाजी का किस्सा सुनाते हैं.

धर्मेंद्र को खतरों से खेलने में डर नहीं लगता था. रामानंद सागर के निर्देशन में बनी फिल्म ‘आंखें’ में 1968 में रिलीज हुई थी. इस फिल्म में धर्मेंद्र का बाघ के साथ जबरदस्त फाइट सीन था. इसके अलावा साल 1976 में फिल्म मां में तेंदुए, शेर के साथ धर्मेंद्र ने फाइट सीन किए,लेकिन साल 1979 में फिल्म ‘कर्तव्य’ के सीन को याद कर आज भी सेट पर मौजूद लोग सिहर जाते हैं.

 धर्मेंद्र डुप्लीकेट से शूट करवाना कम ही पसंद करते थे
बॉलीवुड के सदाबहार हीरो धर्मेंद्र को यूं ही ही-मैन नहीं कहा जाता है, कई फिल्मों में खतरनाक एक्शन सीन खुद ही करना पसंद करते थे. कहते हैं कि धर्मेंद्र को डुप्लीकेट का सहारा लेना पसंद नहीं था. आज के दौर में तो फिल्मों की शूटिंग ग्राफिक्स की मदद से काफी हद तक आसान हो गई है, लेकिन उन दिनों तो टेक्निक भी इतनी एडवांस नहीं थी. कई बार सच्चा सीन फिल्माने में एक्टर-डायरेक्टर के पसीने छूट जाते थे, लेकिन अपने धरम पाजी पीछे नहीं हटते थे.

फॉरेस्ट ऑफिसर का रोल में थे धर्मेंद्र
मोहन सहगल के निर्देशन में बनी फिल्म ‘कर्तव्य’ में धर्मेंद्र एक फॉरेस्ट ऑफिसर के किरदार में थे. एक दिन चीता और धर्मेंद्र की फाइट को शूट किया जाना था. इसके लिए चीता लाया गया. किसी तरह की अनहोनी न हो इसकी वजह से  धर्मेंद्र को सलाह दी गई कि आपकी जगह डुप्लीकेट के साथ एक्शन सीन फिल्मा लेते हैं. लेकिन धर्मेंद्र खुद ही सीन करने पर अड़ गए.

धर्मेंद्र पर चीते ने कर दिया था हमला
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ‘फिल्म के हीरो को डायरेक्टर खतरे में नहीं डालना चाहते थे, लिहाजा उन्हें समझाने की कोशिश हुई. लेकिन धर्मेंद्र टस से मस नहीं हुए. चीता लाया गया, वह पिंजरे में कैद था साथ में ट्रेनर भी था. चूंकि शूटिंग सेट पर काफी भीड़-भाड़ रहती है. भारी-भरकम लाइट्स और कैमरे देख चीता थोड़ा घबरा गया था, घबराहट में गुर्रा रहा था. शूटिंग के लिए क्रू मेंबर्स तैयार थे, जैसे की एक्शन बोला गया और पिंजरा खोला गया तो चीते ने सीधा धर्मेंद्र पर अटैक कर दिया. धर्मेंद्र ने आव न देखा ताव चीते की गर्दन पकड़ ली. सेट पर अफरा-तफरी मच गई, लेकिन धर्मेंद्र ने अपनी जान बचाने के लिए पकड़ ढीली नहीं की. जब तक ट्रेनर पहुंचा और धर्मेंद्र ने चीते को छोड़ा, तब तक उसका काम तमाम हो चुका था. इसे देखकर सारी यूनिट हैरान रह गई थी. कहते हैं कि निर्देशक मोहन सहगल ने फाइन भरकर किसी तरह से मामले को रफा-दफा किया.

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