गोलगप्पा और पुचका में फर्क : गोलगप्पा और पुचका में फर्कगोलगप्पा और पुचका में फर्क गोलगप्पे खाना लगभग सभी को पसंद होता है। इसे तैयार करने के लिए सूजी, आटा, आलू और तरह–तरह के मसालों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसकी वजह से इसका स्वाद बेहद चटपटा और लाजवाब बन जाता है। अक्सर लोग गोलगप्पे और पुचका को एक ही मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में दोनों में कुछ अंतर होता है। आइए जानते हैं इसके बारे में।
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जब भी चटपटा खाने की बात आती है, तो सबसे पहले गोलगप्पे या चाट का नाम दिमाग में आता है। शादी समारोहों और खास मौकों पर भी यह ज़रूर परोसा जाता है। गोलगप्पे बनाने में ज्यादातर सूजी और आलू का उपयोग होता है। अलग–अलग जगहों पर इसे अलग तरह से परोसा जाता है—कहीं पुदीने वाले पानी के साथ, तो कहीं लहसुन या मसालेदार पानी के साथ। इन्हीं फ्लेवर्स की वजह से इनके स्वाद में विविधता मिलती है। गोलगप्पे में आलू और सफेद काबुली चने का मिश्रण भी भरा जाता है।
गोलगप्पों को देशभर में कई नामों से जाना जाता है—कहीं इन्हें गोलगप्पे कहा जाता है, तो कहीं पानी पुरी। आपने ‘पुचका’ नाम भी सुना होगा, जो दिखने और परोसे जाने में गोलगप्पे जैसा ही लगता है। इसी कारण लोग अक्सर दोनों को एक जैसा मान लेते हैं, जबकि इनके बीच कई अहम फर्क होते हैं।
गोलगप्पा और पुचका में फर्क
गोलगप्पे का पानी आमतौर पर पुदीना और धनिया मिलाकर तैयार किया जाता है, जिसकी वजह से इसका रंग हरा दिखाई देता है। वहीं पुचका का पानी इमली और विभिन्न मसालों के मिश्रण से बनता है, जो हल्के ब्राउन रंग का होता है। गोलगप्पे में उबले हुए आलू को बारीक काटकर भरा जाता है, जबकि पुचका में आलू को उबालकर अच्छी तरह मैश किया जाता है और उसमें अलग–अलग मसाले तथा काले चने मिलाए जाते हैं। इसी कारण पुचका का स्वाद अधिक मसालेदार और तीखा होता है।
गोलगप्पे के अनेक नाम
हरियाणा में इसे पानी पतासे के नाम से जाना जाता है, जबकि मध्य प्रदेश में इसे ‘फुल्की’ कहा जाता है। उत्तर प्रदेश में यह ‘पानी के बताशे’ या ‘पड़ाके’ के नाम से मशहूर है। ओडिशा और बिहार के कुछ हिस्सों में इसे ‘गुप–चुप’ कहा जाता है, वहीं असम में ‘फुस्का’ या ‘पुस्का’ के नाम से जाना जाता है। बिहार, नेपाल, झारखंड, बंगाल और छत्तीसगढ़ में इसे ‘पुचका’ कहा जाता है। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु में यह ‘पानी पुरी’ के नाम से लोकप्रिय है। अलग–अलग राज्यों में इसे बनाने का तरीका थोड़ा–थोड़ा भिन्न होता है, और यही अंतर गोलगप्पे तथा अन्य नामों से पहचाने जाने वाले इन स्नैक्स के स्वाद को थोड़ा बदल देता है।
गोलगप्पे का इतिहास
गोलगप्पे का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा बताया जाता है। कहा जाता है कि जब द्रौपदी पांडवों के घर आईं, तो उनकी सास कुंती ने उनकी परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्हें वनवास की परिस्थिति के अनुसार बचा हुआ थोड़ा–सा आटा और सब्जियाँ देकर कुछ ऐसा बनाने को कहा जिससे पांडवों का पेट भर सके। तभी द्रौपदी ने गोलगप्पे जैसा व्यंजन बनाने का विचार किया।
ऐतिहासिक रूप से यह भी माना जाता है कि ‘फुल्की’, जिसे आज गोलगप्पे के नाम से भी जाना जाता है, की उत्पत्ति मगध क्षेत्र में हुई थी। इसके इतिहास से जुड़ी कई लोककथाएँ और मान्यताएँ भी प्रचलित हैं। हालांकि यह स्पष्ट रूप से दर्ज नहीं है कि इसे सबसे पहले किसने, कब और कहाँ बनाया। समय के साथ इसकी रेसिपी और सामग्री में बदलाव होते गए, और अलग–अलग क्षेत्रों में इसका स्वाद और तरीका भी बदलता गया।