रेखा अमिताभ केमिस्ट्री : रेखा और अमिताभ बच्चन के रिश्ते को समझने के लिए उनके सफर के कुछ अहम पहलुओं पर गौर करना जरूरी है। दोनों पहली बार 1976 में फिल्म ‘दो अनजाने’ में साथ नजर आए थे। उस वक्त तक जया बच्चन फिल्मों से दूरी बना चुकी थीं। रेखा और अमिताभ की आखिरी फिल्म ‘सिलसिला’ (1981) रही, और दिलचस्प बात यह है कि उसी साल जया ने दोबारा फिल्मों में वापसी की।
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मशहूर शायर जोश मलीहाबादी ने कहा था — “दिल की चोटों ने कभी चैन से रहने न दिया… जब चली सर्द हवा, मैंने तुझे याद किया…” कुछ तारीखें सच में इतिहास की तरह दिलों पर लिखी जाती हैं। अक्टूबर का महीना भी ऐसा ही होता है, जब ठंडी हवाओं के साथ सिनेमा प्रेमियों को रेखा और अमिताभ की याद आ जाती है। क्या खूबसूरत संयोग है कि दोनों के जन्मदिन भी बस एक दिन के फर्क से हैं — रेखा 10 अक्टूबर को और अमिताभ बच्चन 11 अक्टूबर को जन्मे। आज रेखा 71 वर्ष की हो चुकी हैं और अमिताभ 83 के। सच में, ये तारीखें सवाल नहीं, एक एहसास हैं — जहां तक नजर जाती है, बस मलाल ही मलाल नज़र आता है।
रेखा और अमिताभ की कहानी में यह मलाल भी उतना ही गहरा है जितनी उनकी चर्चा। हिंदी सिनेमा में मोहब्बत की अनगिनत कहानियां बनीं और बिखरीं — दिलीप कुमार और मधुबाला, देव आनंद और सुरैया, राजकपूर और नरगिस, गुरुदत्त और वहीदा रहमान… हर कहानी अब एक खुली किताब है। लेकिन रेखा और अमिताभ की दास्तां आज भी रहस्य बनी हुई है। यह बॉलीवुड की सबसे चर्चित और रहस्यमयी प्रेम कहानी है — क्या दोनों वाकई एक–दूसरे से प्यार करते थे? जवाब आज भी “हां” और “ना” के बीच कहीं खोया हुआ है…
तकरीबन साथ–साथ फिल्म इंडस्ट्री में आए
अगर हम हिंदी फिल्मों के इतिहास के पन्ने पलटें, तो पता चलता है कि रेखा और अमिताभ लगभग एक–दूसरे के पीछे ही बॉलीवुड में कदम रखते हैं। अमिताभ बच्चन की पहली फिल्म 1969 में ‘सात हिंदुस्तानी’ थी, जबकि रेखा ने हिंदी फिल्मों में डेब्यू एक साल बाद 1970 में ‘सावन भादो’ से किया। इस फिल्म में रेखा के हीरो थे नवीन निश्चल।
दिलचस्प बात यह है कि अमिताभ के पास फिल्मों की कोई पारिवारिक विरासत नहीं थी, वहीं रेखा का परिवार फिल्मी दुनिया से जुड़ा था — उनके पिता जेमिनी गणेशन तमिल सिनेमा के प्रसिद्ध कलाकार थे। रेखा ने बाल कलाकार के रूप में भी अभिनय किया और हिंदी फिल्मों में आने से पहले कन्नड़ और तेलुगु फिल्मों में काम करके अपनी पहचान बना ली थी।
अस्सी के दशक की सबसे ग्लैमरस अभिनेत्री
मुंबई आने के बाद रेखा भी अपने समय की अन्य अभिनेत्रियों जैसे जया बच्चन, ज़ीनत अमान, परवीन बॉबी आदि की तरह संघर्ष कर रही थीं। दक्षिण से आई अभिनेत्रियों में रेखा को हेमा मालिनी की तुलना में थोड़ी देर बाद पहचान मिली। उनकी अदाकारी सभी को बहुत भाती थी, लेकिन उनका सांवला रंग कभी–कभी चुनौती बन जाता था। हालांकि, उन्होंने कुछ ही सालों में अपने अभिनय और नृत्य कौशल से इसे पूरी तरह ढक लिया और जल्दी ही 1980 के दशक में बॉलीवुड की सबसे ग्लैमरस अभिनेत्री के रूप में उभरीं।
उस दौर के कई कलाकार, जैसे धर्मेंद्र, सुनील दत्त, राकेश रोशन, राजेश खन्ना, विनोद खन्ना, विनोद मेहरा, शत्रुघ्न सिन्हा, राज बब्बर और शेखर सुमन, रेखा के ग्लैमरस लुक और आकर्षण के कायल रहे।
रेखा और अमिताभ पहली बार 1976 में साथ आए
इन सभी कलाकारों के साथ कई जोड़ियां बनने के बावजूद, रेखा और अमिताभ की जोड़ी सबसे ज्यादा लोकप्रिय बनी। आखिर इसके पीछे वजह क्या थी? अमिताभ बच्चन और रेखा ने पहली बार ‘दो अनजाने’ (1976) फिल्म में साथ काम किया था, जिसका निर्देशन दुलाल गुहा ने किया था। यह फिल्म आमतौर पर साधारण मानी गई और बॉक्स ऑफिस पर कोई खास छाप नहीं छोड़ सकी। उस समय तक अमिताभ की एंग्री यंग मैन वाली छवि स्थापित हो चुकी थी, लेकिन इस फिल्म में उसका कोई खास असर नहीं दिखा।
कैसे बनी रेखा–अमिताभ बच्चन की सदाबहार जोड़ी?
1973 में ही अमिताभ बच्चन का जया बच्चन से विवाह हो चुका था। पर्दे पर कई बार साथ आने के बावजूद, दोनों की लंबाई हमेशा गॉसिप का हिस्सा बनी रहती थी—अमिताभ काफी लंबे थे, जबकि जया उनकी तुलना में छोटी थीं। ऐसे में अमिताभ–रेखा की जोड़ी दर्शकों को नया और आकर्षक लगी। अमिताभ लंबे और पतले थे, और रेखा भी लंबी और दुबली।
वैसे, इस समय तक जया फिल्मों से दूर हो चुकी थीं और बच्चों की देखभाल उनकी प्राथमिकता बन चुकी थी। वहीं, अमिताभ के लिए यह उनका शिखर काल था, जब उनकी सुपरहिट फिल्मों की सूची लगातार लंबी होती जा रही थी। जल्दी ही अमिताभ–रेखा की कई और फिल्में रिलीज़ हुईं और उनकी केमिस्ट्री को लेकर नई–नई गॉसिप भी गढ़ी जाने लगी।
1976 से 81 तक सबसे लोकप्रिय फिल्मी जोड़ी
साल 1976 की ‘दो अनजाने’ के बाद, रेखा और अमिताभ बच्चन ने लगातार कई फिल्मों में साथ काम किया। इनमें कुछ फिल्में बॉक्स ऑफिस पर भले ही बड़ी सफलता नहीं हासिल कर पाईं, लेकिन यादगार जरूर बन गईं।
सन् 1977 में उनकी दो फिल्में आईं — ‘आलाप’ और ‘खून–पसीना’, जिसमें विनोद खन्ना भी थे। खासकर ‘खून–पसीना’ बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुई। अगले साल यानी 1978 में ‘गंगा की सौगंध’ और ‘मुकद्दर का सिकंदर’ ने रेखा–अमिताभ की जोड़ी को और चर्चित कर दिया। ‘मुकद्दर का सिकंदर’ में गाने “सलामे इश्क कि मेरी जां, जरा कुबूल कर लो…” पर उनकी केमिस्ट्री देखते ही बनती थी।
इसके बाद 1979 में ‘मिस्टर नटवरलाल’ और ‘सुहाग’, और 1980 में ‘राम बलराम’ में भी रेखा–अमिताभ ने अपने प्रशंसकों का दिल जीत लिया। उनकी अन्य चर्चित फिल्मों में ‘नमक हराम’, ‘ईमान–धरम’ और ‘कसमे वादे’ शामिल हैं।
रेखा–अमिताभ की आखिरी फिल्म सिलसिला
दिलचस्प बात यह है कि रेखा और अमिताभ की जोड़ी ज्यादातर जया बच्चन की फिल्मों से दूर रहने के समय बनी। जैसे ही जया फिल्मों में लौटती हैं, रेखा और अमिताभ एक बार फिर अलग–अलग हो जाते हैं। उनकी जोड़ी की आखिरी फिल्म ‘सिलसिला’ (1981) रही, जिसकी स्टार केमिस्ट्री यश चोपड़ा की देन थी। यश चोपड़ा की कोशिशों से ही रेखा और जया पहली बार साथ काम करने के लिए तैयार हुईं, जिसमें अमिताभ भी एक प्रमुख किरदार में थे।
हालांकि इसके बाद रेखा और अमिताभ ने फिल्मों में साथ काम नहीं किया, लेकिन अमिताभ की दो फिल्मों ‘याराना’ और ‘आखिरी रास्ता’ में रेखा ने डबिंग के जरिए योगदान दिया। ‘याराना’ में उन्होंने नीतू सिंह के लिए और ‘आखिरी रास्ता’ में श्रीदेवी के लिए आवाज दी। इस तरह रेखा खुद को खुशकिस्मत मानती हैं कि उन्होंने ‘सिलसिला’ के बाद भी अमिताभ के साथ किसी न किसी रूप में काम किया।
क्या रेखा और अमिताभ बच्चन में मोहब्बत थी?
अब सवाल यह उठता है कि क्या रेखा और अमिताभ बच्चन वास्तव में एक–दूसरे से प्यार करते थे? अमिताभ ने कभी इसका खुलकर इजहार नहीं किया। वह हमेशा से अपने परिवार को संगठित और मजबूत रखने में विश्वास रखते रहे हैं। जब रेखा और अमिताभ साथ अभिनय कर रहे थे, उनकी केमिस्ट्री पत्र–पत्रिकाओं के लिए लगातार गॉसिप का विषय बनी रहती थी। लोग मानते थे कि दोनों रोमांटिक सीन में न सिर्फ आकर्षक लगते थे, बल्कि एक–दूसरे के साथ बेहद सहज भी नजर आते थे।
जहां तक रेखा की बात है, उन्होंने अपने इश्क का इजहार खुले तौर पर किया है। कई साक्षात्कारों में रेखा ने स्पष्ट कहा कि हां, वह अमिताभ से प्रेम करती थीं। रेखा खुद को अमिताभ की सबसे बड़ी फैन मानती हैं। कई लोगों को याद होगा कि जब ‘कुली’ फिल्म की शूटिंग के दौरान अमिताभ जख्मी हो गए और अस्पताल में भर्ती हुए, तो जया अस्पताल में थीं, जबकि रेखा मंदिर में हवन करवा रही थीं, उनकी सलामती के लिए।