ओवरथिंकिंग स्टडी इंडिया : आज के समय में बेवजह सोचना एक आम समस्या बन गई है। हाल ही में हुई एक स्टडी के अनुसार, भारतीय औसतन दिन के लगभग तीन घंटे लगातार ओवरथिंकिंग में बिताते हैं और कंफ्यूजन से निपटने के लिए चैटजीपीटी जैसे एआई टूल का सहारा लेते हैं।
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कई लोग किसी भी विषय पर गहराई से सोचते हैं, जो स्वाभाविक भी है, क्योंकि हर फैसले को सोच–समझकर लेना जरूरी होता है। लेकिन एक ही विषय पर लगातार और बिना कारण सोचते रहना सही नहीं माना जाता, खासकर तब जब वह स्थिति तनाव पैदा कर रही हो। कुछ लोग हर छोटी–बड़ी बात पर ओवरथिंक करने लगते हैं, जो समय के साथ उनकी आदत बन जाती है। यह आदत मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य, दोनों पर नकारात्मक असर डाल सकती है।
अक्सर लोगों को लगता है कि वे ही किसी बात पर ज़रूरत से ज़्यादा सोच रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस स्थिति में आप अकेले नहीं हैं। स्टडी में पाया गया है कि बड़ी संख्या में भारतीयों को जरूरत से ज्यादा सोचने की आदत है।
ओवरथिंकिंग स्टडी इंडिया : क्या कहती हैं स्टडी?
सेंटर फ्रेश और यूगोव की संयुक्त रिपोर्ट में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि भारत में करीब 81% लोग बेवजह बातों पर सोचकर अपना समय बर्बाद करते हैं। यहां तक कि कुछ लोग छोटी–छोटी बातों पर भी अत्यधिक विचार करते हैं। सर्वे में पाया गया कि 81% भारतीय रोजाना तीन घंटे से अधिक समय ओवरथिंकिंग में गंवा देते हैं। वहीं, हर तीन में से एक व्यक्ति जरूरत से ज्यादा सोचने की आदत से छुटकारा पाने के लिए गूगल या चैटजीपीटी जैसे एआई टूल का सहारा ले रहा है। किसी को गिफ्ट चुनने से लेकर करियर का निर्णय लेने तक और किसी मैसेज को समझने के लिए भी लोग चैटजीपीटी जैसी तकनीक की मदद ले रहे हैं।
इस सर्वे में प्रोफेशनल और सेल्फ–एम्प्लॉयड लोग शामिल थे, जिनमें टियर 1, 2 और 3 शहरों के प्रतिभागी थे। इसमें शामिल लोगों से उनकी लाइफस्टाइल, सोशल लाइफ, डेटिंग, रिश्ते और प्रोफेशनल जीवन से जुड़े सवाल पूछे गए। सर्वे से यह स्पष्ट हुआ कि भारत में जरूरत से ज्यादा सोचना अब दैनिक जीवन का एक सामान्य हिस्सा बन चुका है।
गूगल और चैटजीपीटी
यह समस्या सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि छोटे शहरों में भी देखने को मिल रही है। अधिकतर लोग सोशल मीडिया पर पोस्ट देखने, ऑफिस में बॉस के ‘ओके’ मैसेज का मतलब समझने, रेस्टोरेंट में क्या ऑर्डर करें, या सेल्फी और तस्वीरें अपनी स्टोरी पर लगानी हैं या नहीं — इन सब बातों पर सोचते–सोचते अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। कुछ लोग तो पोस्ट करने से पहले भी कई बार विचार करते हैं।
यह अध्ययन अंतरराष्ट्रीय रिसर्च एजेंसी यूगोव द्वारा किया गया, जिसकी जानकारी सेंटर फ्रेश इंडिया ओवरथिंकिंग रिपोर्ट में साझा की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस रिसर्च का उद्देश्य यह समझना था कि आज के हाइपर–कनेक्टेड वर्ल्ड में जरूरत से ज्यादा सोचना कैसे सामने आता है। नतीजे चौंकाने वाले रहे — चाहे किसी मैसेज को बार–बार पढ़कर सोचने की बात हो या रात के खाने को लेकर जरूरत से ज्यादा विचार करना, ओवरथिंकिंग अब रोजमर्रा की आदत बन चुकी है। यह हर उम्र और हर क्षेत्र में फैल रही है। इस चक्र को तोड़ने के लिए ज़रूरी है कि खुद पर भरोसा करें, जो महसूस करें उसे कहें, जो पसंद करें उसे पहनें, और जो मानते हैं उसे पोस्ट करें।