बाबा रामदेव प्राणायाम टिप्स : बाबा रामदेव केवल एक मशहूर योग गुरु ही नहीं, बल्कि उन्होंने आयुर्वेद को भी आधुनिक दौर में नई पहचान दिलाई है। चाहे सोशल मीडिया के जरिए हो या अपने पतंजलि प्रोडक्ट्स के माध्यम से, उन्होंने आयुर्वेद की महत्ता को घर–घर तक पहुंचाया है। अगर आप मानसिक तनाव से जूझ रहे हैं, तो बाबा रामदेव द्वारा सुझाए गए कुछ खास प्राणायाम को अपनी डेली रूटीन में शामिल कर सकते हैं।
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पतंजलि के जरिए बाबा रामदेव ने पारंपरिक आयुर्वेदिक तरीकों और प्राकृतिक उत्पादों को आम लोगों तक पहुंचाने में अहम योगदान दिया है। चाहे त्वचा संबंधी समस्याएं हों या स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतें, आज पतंजलि के प्रोडक्ट्स आसानी से स्टोर्स और ऑनलाइन दोनों जगह उपलब्ध हैं। उनकी योग शिक्षा और हर्बल प्रोडक्ट्स ने कई लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं।
आज की तेज–तर्रार जिंदगी में जहां शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है, वहीं मानसिक स्वास्थ्य भी पीछे नहीं है। इस चुनौती से निपटने के लिए योग एक बेहतरीन उपाय है, खासकर ब्रीदिंग तकनीक यानी प्राणायाम। पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव ऐसे कई प्राणायाम बताते हैं जो तनाव को कम करने, मानसिक शांति पाने और ओवरऑल हेल्थ को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
अगर आप स्ट्रेस और एंग्जायटी के कारण मानसिक रूप से परेशान रहते हैं, तो प्राणायाम जैसी ब्रीदिंग तकनीकों का अभ्यास आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। यह न केवल तनाव और चिंता को घटाता है, बल्कि नकारात्मक विचारों को भी कम करता है। प्राणायाम में सांसों को एक नियमित लय में लिया और छोड़ा जाता है, जिससे मस्तिष्क तक ऑक्सीजन का प्रवाह बेहतर होता है और मन को शांति मिलती है। आइए जानते हैं बाबा रामदेव के बताए 5 प्रभावी प्राणायाम के बारे में।
अनुलोम–विलोम
पतंजलि वेलनेस के अनुसार, अनुलोम–विलोम एक बेहद प्रभावी प्राणायाम और शक्तिशाली ब्रीदिंग तकनीक है। इसका नियमित अभ्यास शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर बनाता है और ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायक होता है, जिससे मन को शांति मिलती है। इसे करने के लिए सबसे पहले सुखासन में बैठें। फिर एक हाथ से एक नासिका को बंद करके दूसरी नासिका से धीरे–धीरे सांस अंदर लें। अब जिस नासिका से सांस ली थी, उसे बंद कर दें और दूसरी नासिका से सांस बाहर छोड़ें।
भस्त्रिका प्राणायाम
इस प्राणायाम में ध्यान मुद्रा में बैठकर स्वयं को पूरी तरह शांत रखना होता है। इसके दौरान धीरे–धीरे और सहजता से सांस अंदर लेना और बाहर छोड़ना शामिल है। यह अभ्यास फेफड़ों को सक्रिय करता है, पूरे शरीर में ऊर्जा पहुंचाता है और मानसिक रूप से गहरी शांति का अनुभव कराता है।
कपालभाति प्राणायाम
पतंजलि वेलनेस के अनुसार, इस प्राणायाम को करते समय पूरा ध्यान श्वास–प्रश्वास की प्रक्रिया पर केंद्रित रखना चाहिए, लेकिन शुरुआत में इसे ज़्यादा ज़ोर देकर या पूर्ण रूप से करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कपालभाति एक सक्रिय प्राणायाम है, जिसमें तेज़ी से सांस छोड़ना और स्वाभाविक रूप से सांस लेना शामिल है। यह अभ्यास न केवल हृदय और फेफड़ों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करता है।
भ्रामरी प्राणायाम
मेंटल वेल बीइंग को सुधारने के लिए भ्रामरी प्राणायाम बेहतरीन रहता है. इसमें दोनों हाथों को आंखों पर रखकर 3 से 5 सेकंड की ड्यूरेशन में लय के साथ सांस लेनी चाहिए. उस दौरान ऊं का उच्चारण करें.
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उज्जायी प्राणायाम के फायदे
मन को शांत करने, तनाव घटाने और नींद के पैटर्न को सुधारने के लिए उज्जायी प्राणायाम बेहद प्रभावी माना जाता है। यह अभ्यास आपके पाचन तंत्र और फेफड़ों के लिए भी लाभकारी है। इसे करने के लिए ध्यान मुद्रा में बैठें, फिर दोनों नासिकाओं से सांस लेते हुए गले को हल्का सा सिकोड़ें, जिससे खर्राटे जैसी आवाज उत्पन्न हो। इसके बाद दाईं नासिका को बंद करके बाईं नासिका से सांस बाहर छोड़ें।