गुड फैट और बैड फैट का अंतर : शरीर के सुचारु संचालन के लिए जितने आवश्यक विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं, उतना ही ज़रूरी फैट भी होता है। फैट दो प्रकार का होता है – एक जो शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है, और दूसरा जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। ऐसे में यह जानना ज़रूरी है कि इन दोनों प्रकार के फैट्स में क्या अंतर है और संतुलित डाइट में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।
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वजन घटाने की बात आते ही अधिकतर लोग फैट को ही सबसे बड़ा दोषी मानते हैं, जबकि हकीकत यह है कि शरीर के सही ढंग से कार्य करने के लिए सीमित मात्रा में हेल्दी फैट बेहद जरूरी होता है। फैट हमारे शरीर के लिए एक प्रमुख ऊर्जा स्रोत है और यह हमारे आंतरिक अंगों की कार्यक्षमता बनाए रखने में मदद करता है।
हालांकि अधिक मात्रा में फैट शरीर के लिए नुकसानदेह हो सकता है, लेकिन सही मात्रा और प्रकार का फैट सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इसे दो मुख्य श्रेणियों में बांटा जाता है – गुड फैट और बैड फैट। एक हमारे शरीर की जरूरत है तो दूसरा बीमारियों की जड़ बन सकता है। आइए एक्सपर्ट की राय से समझते हैं इन दोनों के बीच का अंतर और यह डाइट में कैसे संतुलित रखें।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ. अली शेर के अनुसार, गुड फैट (अच्छा वसा) और बैड फैट (खराब वसा) का शरीर पर अलग–अलग प्रभाव पड़ता है। गुड फैट न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि यह हृदय और कोशिकाओं की कार्यक्षमता बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभाता है। वहीं दूसरी ओर, बैड फैट शरीर में कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाता है, जिससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और मोटापा जैसी गंभीर समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
गुड फैट
गुड फैट मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं – मोनोअनसैचुरेटेड और पॉलीअनसैचुरेटेड फैट। ये स्वास्थ्य के लिए लाभकारी वसा ऑलिव ऑयल, सूरजमुखी तेल, सूखे मेवे जैसे बादाम और अखरोट, मछलियों जैसे सैल्मन और टूना, और अवोकाडो में पाए जाते हैं। ये फैट अच्छे कोलेस्ट्रॉल को बढ़ाते हैं और खराब कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। इसलिए इन्हें डाइट में जरूर शामिल करना चाहिए, लेकिन संतुलित मात्रा में और सही तरीके से सेवन करना जरूरी है।
बैड फैट
विशेषज्ञों के अनुसार, बैड फैट दो प्रकार के होते हैं – सैचुरेटेड फैट और ट्रांस फैट। सैचुरेटेड फैट मुख्य रूप से रेड मीट, मक्खन, चीज़ और फुल–फैट डेयरी प्रोडक्ट्स में पाया जाता है। वहीं, ट्रांस फैट आमतौर पर प्रोसेस्ड फूड, बेकरी प्रोडक्ट्स, तले हुए खाद्य पदार्थ और पैकेज्ड स्नैक्स जैसे नमकीन, बिस्किट और पिज्जा में मौजूद होता है।
ट्रांस फैट शरीर के लिए सबसे अधिक हानिकारक होता है, क्योंकि यह सूजन बढ़ाता है,धमनियों को अवरुद्ध करता है और हृदय रोगों का खतरा कई गुना बढ़ा देता है।
इसलिए, अच्छे स्वास्थ्य के लिए तले–भुने और प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों की मात्रा कम करनी चाहिए और गुड फैट वाले खाद्य स्रोतों को डाइट में शामिल करना चाहिए। डॉक्टर सलाह देते हैं कि किसी भी पैक्ड प्रोडक्ट को खरीदते समय उसके लेबल की जांच करें और ऐसे उत्पादों से बचें जिनमें “हाइड्रोजेनेटेड ऑयल” या “ट्रांस फैट” लिखा हो। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम से बैड फैट को नियंत्रित किया जा सकता है, जो स्वस्थ जीवन के लिए बेहद जरूरी है।