पहलगाम हमला : भारत–पाकिस्तान संबंधों में फिर से तनाव, पहलगाम हमले के बाद केंद्र सरकार का बड़ा फैसला
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भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में पहले भी कई बार तनाव आ चुका है—चाहे वो आतंकी हमले हों या सीमाओं पर हुए युद्ध। लेकिन इस बार हालात कुछ अलग हैं। जम्मू–कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में जबरदस्त गुस्सा है, और जनता एक सुर में केंद्र सरकार से कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की अहम बैठक में पाकिस्तान को इस हमले के लिए जिम्मेदार मानते हुए कई सख्त फैसले लिए गए हैं। पहली बार भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया है। इसके अलावा, पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं और अटारी बॉर्डर सहित भारतीय सीमा में स्थित पाक उच्चायोग को बंद करने का भी निर्णय लिया गया है।
अब भारत ने सिर्फ पानी ही नहीं, बल्कि पाकिस्तान के लिए हर मोर्चे पर दबाव बढ़ाने की रणनीति अपनाई है—राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक स्तर पर उसे करारा जवाब देने की तैयारी शुरू हो चुकी है।
गंभीर हालातों के मद्देनज़र गुरुवार को मोदी सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी बुलाई है, जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विपक्षी दलों के नेताओं के साथ चर्चा करेंगे। इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ उठाए जाने वाले कड़े कदमों पर विस्तार से विचार किया जाएगा।
साथ ही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज बिहार के मधुबनी में एक जनसभा को संबोधित करने वाले हैं, जहां वो इस आतंकी हमले पर पाकिस्तान को तीखा जवाब दे सकते हैं।
पहलगाम हमला : पाकिस्तान का ‘हुक्का–पानी’ बंद
पाकिस्तान के खिलाफ भारत का बड़ा कदम, सिंधु जल संधि स्थगित, वीज़ा रद्द और अटारी बॉर्डर बंद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की अहम बैठक में बुधवार को पहलगाम आतंकी हमले के मद्देनज़र पाकिस्तान पर कड़े प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया। बैठक के बाद विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने बताया कि भारत ने पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया है। इसके साथ ही, पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द कर दिए गए हैं और SAARC वीजा योजना के तहत भी अब उन्हें भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।
इसके अलावा, अटारी एकीकृत जांच चौकी को भी तुरंत प्रभाव से बंद करने का निर्णय लिया गया है।
विदेश सचिव ने यह भी जानकारी दी कि भारत में पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, सेना, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को सात दिनों के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है। साथ ही, भारत ने इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग से अपने सभी सलाहकारों को वापस बुला लिया है। यह निर्णय तब तक लागू रहेगा जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन देना बंद नहीं करता।
भारत सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार मानती है, और उसी के अनुसार दृढ़ और निर्णायक कार्रवाई की जा रही है।
सिंधु जल संधि स्थगित करना बड़ा कदम
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने साफ कहा कि 1960 की सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित की जाती है. 19 सितंबर 1960 को दोनों देशों के बीच 6 नदियों के सिंधु जल संधि पर भारत का बड़ा फैसला: पाकिस्तान को झेलना पड़ सकता है जल संकट
भारत और पाकिस्तान के बीच वर्षों पहले एक ऐतिहासिक जल समझौता हुआ था, जिसे सिंधु जल संधि के नाम से जाना जाता है। इस समझौते के तहत भारत को रावी, ब्यास और सतलुज नदियों के जल उपयोग का अधिकार मिला, जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चिनाब नदियों से जल उपयोग की अनुमति दी गई थी। इसका उद्देश्य था कि दोनों देशों के बीच जल संसाधनों को लेकर कोई टकराव न हो।
लेकिन हाल ही में जम्मू–कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने इस संधि को स्थगित करने का कठोर निर्णय लिया है। यह पहली बार है जब भारत ने इस दिशा में इतना बड़ा कदम उठाया है।
अब तक भारत ने तमाम संघर्षों और युद्धों के बावजूद पाकिस्तान के जल अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं किया था। लेकिन बार–बार के आतंकी हमलों के चलते भारत ने अब कड़ा रुख अपनाया है। पाकिस्तान इन नदियों के जल का उपयोग खेती, पीने के पानी, हाइड्रोपावर, उद्योग, मत्स्य पालन और परिवहन जैसे कई अहम क्षेत्रों में करता है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर है, और सिंधु बेसिन को उसकी जीवनरेखा माना जाता है। पंजाब और सिंध प्रांतों में उगाई जाने वाली फसलें – जैसे गेहूं, चावल, कपास और गन्ना – इन नदियों के जल पर आधारित हैं। जल की आपूर्ति नहरों के माध्यम से लाहौर, कराची और इस्लामाबाद जैसे शहरों में की जाती है।
सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर पाकिस्तान ने कई डैम और हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट बनाए हैं, जिससे उसकी करीब 80% खेती निर्भर करती है। जल आपूर्ति प्रभावित होने से न केवल कृषि, बल्कि बिजली उत्पादन और औद्योगिक गतिविधियों पर भी गहरा असर पड़ सकता है।
भारत के इस निर्णय से पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति और अधिक नाजुक हो सकती है, और यह कदम रणनीतिक रूप से उसे कूटनीतिक दबाव में लाने की दिशा में भी एक बड़ी चाल माना जा रहा है।
पाकिस्तान से खत्म किए सारे रिश्ते नाते
भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कूटनीतिक मोर्चे पर बड़ा कदम उठाते हुए सभी प्रकार के द्विपक्षीय संबंधों को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, सैन्य, नौसेना और वायुसेना सलाहकारों को “अवांछित व्यक्ति” घोषित कर एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया गया है।
इसके साथ ही अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट को बंद कर दिया गया है, जिससे दोनों देशों के बीच होने वाली सीमित व्यापारिक और व्यक्तिगत आवाजाही भी पूरी तरह बंद हो गई है। भारत से पाकिस्तान को भेजे जाने वाले छोटे सामानों की आपूर्ति अब पूरी तरह से रुक जाएगी।
भारत सरकार ने पाकिस्तानी नागरिकों को वीजा जारी करने पर भी पूर्ण रोक लगा दी है। यहां तक कि SAARC वीजा योजना के अंतर्गत भी पाकिस्तान के नागरिक अब भारत में प्रवेश नहीं कर सकेंगे।
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गौरतलब है कि पाकिस्तान के कई नागरिकों के पारिवारिक संबंध भारत में हैं, जिसके चलते वे अक्सर रिश्तेदारों के रूप में भारत आते रहे हैं। लेकिन अब इस रास्ते को भी बंद कर दिया गया है।
यह निर्णय मोदी सरकार की ओर से पाकिस्तान को एक कड़ा और स्पष्ट संदेश है कि आतंकवाद और द्विपक्षीय संबंध एक साथ नहीं चल सकते। भारत अब पाकिस्तान को न केवल आर्थिक स्तर पर बल्कि राजनीतिक और कूटनीतिक रूप से भी अलग–थलग करने की रणनीति पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है।
पीएम मोदी ने दिया सख्त संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सऊदी अरब दौरे को बीच में छोड़कर भारत लौटते ही पाकिस्तान को पहलगाम हमले के लिए एक सख्त संदेश दिया। पीएम मोदी ने सऊदी से लौटते वक्त पाकिस्तानी एयरस्पेस का उपयोग नहीं किया, जिससे भारत ने स्पष्ट रूप से यह संकेत दिया कि वह पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान की हरकतों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा।सीसीएस की बैठक में भारत ने दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन में तैनात सलाहकारों को अवांछित घोषित कर दिया और उन्हें एक सप्ताह के भीतर देश छोड़ने का आदेश दिया।
इसके साथ ही भारत ने अपने सलाहकारों को पाकिस्तान से वापस बुला लिया है, जिससे दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की बातचीत और संपर्क पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। पहलगाम हमले के बाद, दुनियाभर के देशों ने भारत के साथ खड़ा होने की घोषणा की और आतंकवाद के खिलाफ उठाए गए कदमों में भारत का समर्थन किया।इसके अतिरिक्त, भारत ने पाकिस्तान से सभी रिश्ते समाप्त कर दिए हैं, जो पाकिस्तान को कूटनीतिक रूप से अलग–थलग करने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
मोदी सरकार के साथ खड़ा देश
पहलगाम हमले के बाद देश पूरी तरह से मोदी सरकार के साथ खड़ा है, और सरकार ने यह भरोसा दिलाया है कि हमले के दोषियों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। विपक्ष भी पूरी ताकत के साथ सरकार के पक्ष में खड़ा है। इसी बीच, केंद्र सरकार ने जम्मू–कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर गुरुवार को एक सर्वदलीय बैठक बुलाने का निर्णय लिया है।
सूत्रों के अनुसार, यह बैठक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में आयोजित की जाएगी। बैठक में हमले के बाद की स्थिति, सुरक्षा उपायों और भविष्य की रणनीति पर चर्चा की जाएगी, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता शामिल होंगे। इस बैठक के दौरान पहलगाम हमले के खिलाफ उठाए जाने वाले कदमों पर विचार किया जा सकता है, साथ ही सरकार के अगले कदमों के बारे में भी जानकारी दी जा सकती है।