बच्चों का स्क्रीन टाइम : कम्प्यूटर से लेकर मोबाइल तक, आजकल लोगों का स्क्रीन टाइम काफी बढ़ गया है। यह न केवल आंखों के लिए हानिकारक है, बल्कि इससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा भी बढ़ जाता है। हाल ही में आई एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है कि मातापिता अपने बच्चों को किस समय सबसे ज्यादा मोबाइल इस्तेमाल करने देते हैं।

विशेषज्ञों की ओर से बारबार चेतावनी दी जाती रही है कि मोबाइल चलाने से सिर्फ शारीरिक बल्कि मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ता है। इसके बावजूद लोग दिन का बड़ा हिस्सा फोन स्क्रॉल करते हुए बिता देते हैं। यह लत अब केवल बड़ों तक सीमित नहीं रहीबच्चों में भी यह आदत तेजी से बढ़ रही है। कई बार मातापिता खुद ही बच्चों को चुप कराने या मनाने के लिए फोन थमा देते हैं।

इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स, कोल्लम के डिस्ट्रिक्ट प्रेसिडेंट डॉ. मनोज मनी द्वारा की गई एक स्टडी के अनुसार, करीब 89.1% बच्चे दिन के अलगअलग समय पर मोबाइल स्क्रीन पर समय बिताते हैं। इस शोध में यह भी बताया गया है कि बच्चों का फोन इस्तेमाल मातापिता की पारिवारिक पृष्ठभूमि से किस तरह जुड़ा है और वे किस समय बच्चों को मोबाइल देते हैं। वहीं, अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स का कहना है कि 18 महीने से कम उम्र के बच्चों को बिल्कुल भी मोबाइल नहीं देना चाहिए, क्योंकि किसी भी रूप में स्क्रीन टाइम उनके लिए हानिकारक होता है। इसके अलावा, 5 साल तक के बच्चों को दिनभर में 30 मिनट से ज्यादा स्क्रीन नहीं देखनी चाहिएवह भी मातापिता की निगरानी में।

18 महीने के बच्चों पर हुई स्टडी

इंडियन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स द्वारा की गई इस स्टडी में 18 महीने की उम्र वाले बच्चों, जो टीकाकरण केंद्रों पर आते हैं, पर विशेष ध्यान दिया गया। शोध के दौरान बच्चों के मातापिता की सामाजिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि को भी अध्ययन में शामिल किया गया। इसके आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया कि बच्चे किस प्रकार और कितनी देर तक मोबाइल फोन पर समय बिताते हैं।

एजुकेशनल बैकग्राउंड से पड़ता है फर्क

अध्ययन के नतीजों के अनुसार, जिन माताओं ने हाई स्कूल (10वीं तक) पढ़ाई की थी, उनके बच्चों में स्क्रीन टाइम एक्सपोजर 100% पाया गया। वहीं, 12वीं तक शिक्षित माताओं के बच्चों में यह आंकड़ा 89% था। इसके विपरीत, डिप्लोमा या डिग्री धारक माताओं के बच्चों में स्क्रीन टाइम का प्रतिशत 91% रहा। जबकि स्नातकोत्तर (पोस्टग्रेजुएट) माताओं के बच्चों में यह एक्सपोजर comparatively कम, यानी 80% दर्ज किया गया।

सबसे ज्यादा फोन कब चलाते हैं बच्चे?

अध्ययन में यह सामने आया कि 69% मातापिता अपने बच्चों को खाना खिलाते समय मोबाइल देते हैं, जबकि 50% बच्चे अपने भाईबहनों को देखकर फोन इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होते हैं।
इसके अलावा, बच्चों का मोबाइल उपयोग परिवार की आर्थिक स्थिति पर भी निर्भर करता है। शोध में पाया गया कि गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों के बच्चों में स्क्रीन टाइम काफी कम था, क्योंकि उनके पास स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं थे।

फैमिली स्ट्रक्चर का असर

अध्ययन में यह भी पाया गया कि बच्चे मोबाइल स्क्रीन पर कितना समय बिताते हैं, इसमें परिवार की संरचना का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। रिपोर्ट के अनुसार, न्यूक्लियर फैमिली (एकल परिवार) में रहने वाले बच्चों का फोन एक्सपोजर 78% पाया गया, जबकि संयुक्त परिवारों में रहने वाले बच्चों का यह प्रतिशत 91% तक पहुंच गया।

इस स्टडी का डेटा डॉ. रंजीता ने डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन की डॉ. जीना के सुपरविजन में एकत्र किया था, जिसे बाद में कोल्लम डिस्ट्रिक्ट मेडिकल ऑफिसर एम.एस. अनु को प्रस्तुत किया गया।

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