नैनोशिप क्या है : अब रिलेशनशिप और सिचुएशनशिप के बाद डेटिंग की दुनिया में जुड़ा एक और नया ट्रेंड – नैनोशिप! आज के समय में युवाओं के लिए प्यार और रिश्तों के मायने लगातार बदलते जा रहे हैं। पहले जहां प्रेम की शुरुआत लव लेटर से होती थी, वहीं अब Gen Z ने इसे डेटिंग ऐप्स, लेफ्ट–राइट स्वाइप और नए–नए ट्रेंड्स तक पहुंचा दिया है।रिलेशनशिप से सिचुएशनशिप और अब नैनोशिप – ये नया शब्द तेजी से यंगस्टर्स के बीच पॉपुलर हो रहा है। हालांकि, अभी भी कई लोग इसके मायने से अनजान हैं।
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डेटिंग वर्ल्ड में टेक्टेशनशिप, बेंचिंग, फ्रीक मैचिंग और फबिंग जैसे कई ट्रेंड्स पहले ही वायरल हो चुके हैं। अब इसी लिस्ट में नैनोशिप ने एंट्री की है, जिसे लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है।
अगर आप भी सोच में हैं कि आखिर नैनोशिप होता क्या है, तो इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे कि ये ट्रेंड क्या है और क्यों बन रहा है आज के युवाओं का नया रिलेशनशिप फॉर्मूला।
क्या है नैनोशिप का मतलब?
डेटिंग वर्ल्ड का नया ट्रेंड – क्या है ‘नैनोशिप’? नैनोशिप दो शब्दों से मिलकर बना है – ‘नैनो’ यानी बहुत छोटा और ‘शिप’ यानी रिश्ता। इस शब्द का मतलब है एक ऐसा रोमांटिक रिश्ता जो बेहद कम समय के लिए होता है। इसे आप ‘माइक्रो–रिलेशनशिप’ भी कह सकते हैं। आमतौर पर ये रिश्ते कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक ही चलते हैं और जल्दी खत्म हो जाते हैं।
नैनोशिप कैसा होता है?
नैनोशिप का असली मतलब – कुछ पलों का रिश्ता, बिना किसी कमिटमेंट के इस तरह के रिश्ते में दो लोग आपसी सहमति से कुछ घंटों या कुछ दिनों के लिए ही एक–दूसरे के साथ वक्त बिताते हैं। इसमें न तो कोई कमिटमेंट होती है और न ही भविष्य को लेकर कोई योजना बनाई जाती है।
उदाहरण के तौर पर समझें – मान लीजिए आप किसी पार्टी में किसी से मिलते हैं और एक–दूसरे के प्रति आकर्षित हो जाते हैं। आप दोनों कुछ समय साथ बिताते हैं – हो सकता है वो कुछ घंटे हों या कुछ दिन – और उसके बाद दोबारा संपर्क नहीं होता। इसी तरह के रिश्ते को ‘नैनोशिप‘ कहा जाता है।
इस रिलेशनशिप का मकसद सिर्फ थोड़े समय के लिए एक–दूसरे के साथ मौज–मस्ती करना होता है, बिना किसी इमोशनल अटैचमेंट या लॉन्ग–टर्म प्लान के।
क्यों पॉपुलर हो रही नैनोशिप?
क्यों बढ़ रही है नैनोशिप की पॉपुलैरिटी? आज की तेज़ रफ्तार लाइफस्टाइल और युवाओं की ओपन माइंडेड सोच नैनोशिप जैसे ट्रेंड्स को बढ़ावा दे रही है। डिजिटल दुनिया में रोज़ नए लोगों से मिलने और तुरंत अट्रैक्ट होने का चलन आम हो गया है, जिसमें न तो इमोशन्स की ज़रूरत होती है और न ही किसी कमिटमेंट की। यही कारण है कि ऐसे शॉर्ट–टर्म रिलेशनशिप्स तेजी से पॉपुलर हो रहे हैं।