हमारे भारत देश में कई ऐतिहासिक इमारतें और किले हैं, जिन्हें लोग देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं। दिल्ली में स्थित कुतुबमीनार भारत की एक सुंदर इमारत है। 1993 में, कुतुबमीनार को विश्व धरोहर में शामिल किया गया। कुतुबमीनार भारत की प्रसिद्ध इमारतों में से एक है। इस खूबसूरत मीनार का मुख्य उद्देश्य नमाज़ अदा करने के लिए बनाया गया था। यह साउथ दिल्ली के मेहरोली क्षेत्र में स्थित है। भारत में बनी इस मीनार की प्रसिद्धि विदेशी देशों तक है, और जो इसे एक बार देखते हैं, वे इसकी सुंदरता में प्रवीण हो जाते हैं। आज हम जानेंगे कि कुतुबमीनार की ऊंचाई कितनी है, और किसने और कब कुतुबमीनार का निर्माण किया था। इस लेख के माध्यम से आपको कुतुबमीनार से जुड़ी सभी जानकारी प्राप्त होगी।

क़ुतुबमीनार की लम्बाई

कुतुबमीनार दिल्ली में स्थित एक ऊँची मीनार या खम्बा है। यह दुनिया की सबसे ऊँची ईंट की मीनारों में से एक है। कुतुबमीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर है। इस मीनार के परिसर में एक लोहे का खम्बा है, और इसकी जंग प्रतिरोधक क्षमता को देखकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। कुतुबमीनार कई बार प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप और तूफान से क्षतिग्रस्त हो चुकी है। 1981 में एक गंभीर दुर्घटना के बाद, कुतुबमीनार के आंतरिक भाग में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। अन्यथा, इससे पहले जनता स्मारक में अंदर प्रवेश किया जा सकता था। इस मीनार का निर्माण अफगानिस्तान में जाम मीनार से प्रेरित होकर किया गया था। इसमें 5 मंजिले, 4 बालकनियाँ हैं, और सीढ़ियों की संख्या 379 है।

क़ुतुब मीनार किसने बनवाया ?

क़ुतुबमीनार का निर्माण किसी एक शासक द्वारा नहीं बल्कि तीन शासको द्वारा पूरा करवाया गया था। सर्वप्रथम कुतुबमीनार का निर्माण कार्य कुतुबुदीन ऐबक ने 1193 में शुरू करवाया था परन्तु कुतुबुदीन ऐबक ईमारत का निर्माण कार्य पूरा नहीं करवा पाया था जिसके बाद 1215 में उसके उत्तराधिकारी इल्तुत्मिश ने क़ुतुब मीनार की तीन मंजिलो का निर्माण कार्य करवाया था। फिर आखिर में पांचवी मंजिल का निर्माण कार्य सुल्तान फ़िरोज़ शाह तुगलक के शासनकाल में 1368 में पूरा हुआ।

क़ुतुब मीनार कब बना ?

कुतुबमीनार की नींव मुहम्मद गौरी के पसंदीदा गुलाम कुतुबुद्दीन ऐबक ने 1193 में रखी थी, और इसका निर्माण कार्य 1368 में पूरा हुआ। कुतुबमीनार का निर्माण पूरा होने में 175 वर्ष का समय लगा। इसे लाल बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनाया गया था।

लोदी वंश के शासनकाल में, 1508 में आये भयानक भूकंप के कारण, कुतुबमीनार को काफी नुकसान हुआ था। इस परिस्थिति का समाधान करने के लिए, लोदी वंश के शासक सिकंदर लोदी ने इसकी मरम्मत करवाई थी। 1803 में एक और भूकंप के बाद, मीनार को फिर से काफी नुकसान पहुंचा। 1814 में, मीनार की मरम्मत कार्य ब्रिटिश इंडियन आर्मी के मेजर द्वारा की गई थी।

कुतुबमीनार के नाम का इतिहास

क़ुतुब मीनार के नाम के संबंध में दो महत्वपूर्ण तथ्य हैं। पहला यह कि गुलाम वंश के शासक और दिल्ली सल्तनत के पहले मुस्लिम सुल्तान कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम कुतुबमीनार का नामकरण किया गया था। और दूसरा, कि मशहूर सूफी संत ख्वाजा क़ुतुब्बुदीन बख्तियार काकी के नाम पर इसे भी जाना जाता है।

क़ुतुब मीनार की बनावट कैसी है

यह एक शंकु (Cone) के आकार की इमारत है। यह पांच मंजिलों की इमारत है और इसमें 4 बालकनी भी हैं। इसकी पहली तीन मंजिलें लाल बलुआ से बनी हैं, जबकि ऊपर की दो मंजिलें लाल बलुआ और संगमरमर के पत्थरों से बनी हैं। इस पर लगे पत्थरों पर कुरान की आयतें लिखी गई हैं और मुहम्मद गौरी की प्रशंसा की गई है। मीनार के आधार का व्यास 14.32 मीटर है और शीर्ष का व्यास 2.75 मीटर है। इसके अंदर कुल 379 सीढ़ियाँ हैं। मीनार की ऊँचाई 72.5 मीटर है। कुतुबमीनार के चारों ओर एक आकर्षक हरा बगीचा है।

क़ुतुब मीनार परिसर में अन्य प्राचीन और मध्य युग के खंडहर हैं, जिन्हें घेरते हुए बहुत से बाहरी किनारे और घुमावदार रास्ते हैं। इसकी बालकनी इसकी मंजिलों को अलग करती है। क़ुतुब परिसर के भीतर, आपको कुतुबमीनार के अतिरिक्त लोहे के स्तम्भ, अलाई दरवाजा, कुतुबुद्दीन का मकबरा, कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद, और अलाउद्दीन का मदरसा भी देखने को मिलेंगे।

हिन्दुओ के अनुसार कुतुबमीनार का नाम

हिन्दू समुदाय के लोग मानते हैं कि कुतुबमीनार का वास्तविक नाम विष्णु स्तम्भ है, जिसका निर्माण सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के नौरत्नों में से एक रत्न, वराहीमिहिर ने करवाया था। इसके भीतर जो लोह स्तम्भ है, उसका निर्माण गुप्त साम्राज्य के चन्द्रगुप्त द्वितीय ने किया था, जिसके लिए उसे 2000 साल से भी अधिक समय हो गया है, लेकिन अब तक उसमें कोई भी जंग नहीं लगी है। इस लोह स्तम्भ की लंबाई 24 फीट है और वजन 600 किलो है।

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क़ुतुबमीनार के बारे में कुछ रोचक तथ्य

  • कुतुबमीनार के निर्माण कार्यं की शुरुआत 1913 में हुई थी और निर्माण कार्य का अंत 1368 में हुआ था।
  • Qutub Minar सीधी नहीं है वो थोड़ी झुकी हुई है।
  • इस मीनार पर अरबी भाषा और नागरी लिपि में शिलालेख लिखे है।
  • इसका निर्माण कार्य 11 वी शताब्दी में कुतुबुदीन ऐबक द्वारा शुरू करवाया गया था।
  • इसके आस पास के 27 किलो को तोड़कर उनके मलबे से इस इमारत का निर्माण कराया गया था जिसका प्रमाण आप कुतुबमीनार के अंदर क़ुतुब चित्र में देख सकते हो।
  • इसके आधार का व्यास 14.32 मीटर है और शीर्ष का व्यास 2.75 मीटर है।
  • मीनार के परिसर में अन्य ऐतिहासिक स्मारक भी स्थित है जो इसके आकर्षण को दोगुना कर देते है।
  • इसमें 5 मंजिल 4 बालकनी है।
  • इसे इतिहास में विजय मीनार के नाम से भी जाना जाता था।
  • मीनार परिसर के भीतर एक लौहे का स्तम्भ है जिसपर अब तक जंग नहीं लगा है ,.
  • 1993 में कुतुबमीनार को unesco विश्व धरोहर स्थल की सूची में शामिल किया गया था।
  • क़ुतुब मीनार के चारो और सुंदर रचनाये और आकर्षित कलाकृतियां मौजूद है।

कुतुब मीनार की लम्बाई कितनी है से सम्बंधित कुछ प्रश्न व उनके उत्तर

Que1 कुतुबमीनार की लम्बाई कितनी है ?

Ans कुतुबमीनार की लम्बाई 72.5 मीटर है।

Que2 क़ुतुब मीनार की कितनी मंजिल है ?

Ans कुतुबमीनार में 5 मंजिले है।

Que3 कुतुबमीनार बनाने का क्या उद्देश्य था ?

Ans क़ुतुबमीनार नामाज अदा करने और पुकार लगाने के उद्देश्य से बनाई गयी थी।

Que4 क़ुतुब मीनार कहा स्थित है ?

Ans कुतुबमीनार भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित है।

 

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