भारत के सबसे साफ गांव : मानसून में इन गांवों की सैर बन जाएगी यादगार, जहां प्रकृति बिखेरती है जादू मानसून में घूमने का अपना ही अलग मजा होता है। हालांकि, कुछ पहाड़ी इलाकों में भूस्खलन का खतरा रहता है, लेकिन भारत में कई ऐसे गांव हैं जो इस मौसम में अपनी अद्भुत खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं। ये गांव ना सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर हैं, बल्कि स्वच्छता के मामले में भी मिसाल कायम करते हैं।

जब बरसात की फुहारें धरती को छूती हैं, तो कुछ गांव ऐसे निखरकर सामने आते हैं जैसे कोई तस्वीर। ये गांव हरियाली, शुद्ध हवा और शांति के लिए मशहूर हैं। मेघालय का मावलिननोंग, जिसे एशिया का सबसे साफ गांव कहा जाता है, और हिमाचल प्रदेश का नोक गांव, बारिश के मौसम में अपने सौंदर्य की चरम सीमा पर होते हैं।

इन गांवों में न भीड़ होती है, न प्रदूषणबस होती है शांति, ताजगी और सुकून। साफसुथरी गलियां, हरियाली से ढकी वादियां और प्राकृतिक सुंदरता इन गांवों को किसी फिल्मी दृश्य जैसा बना देती हैं।

अगर आप इस मानसून सीज़न में भीड़ से दूर, एक शांत और रिफ्रेशिंग ट्रैवल एक्सपीरियंस की तलाश में हैं, तो भारत के इन चार खूबसूरत और स्वच्छ गांवों की यात्रा जरूर करें। ये गांव न सिर्फ आंखों को सुकून देंगे, बल्कि आपके दिल को भी छू जाएंगे।

भारत के सबसे साफ गांव : मेघालय का मावलिननोंग गांव

मेघालय का मावलिननोंग: एशिया का सबसे साफ और खूबसूरत गांव मेघालय का मावलिननोंग गांव एशिया के सबसे साफ गांवों में गिना जाता है। यह अपनी बेहतरीन स्वच्छता व्यवस्था और इकोफ्रेंडली जीवनशैली के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। यहां की हर गली चमकती है और हर घर के बाहर कूड़ेदान रखा गया है, जिससे गांव की साफसफाई का स्तर बरकरार रहता है।

मानसून के मौसम में यह गांव किसी जादुई परीकथा जैसा नजर आता है। बादलों से घिरे पहाड़, हरीभरी वादियां और ठंडीताज़ा हवाएं इस गांव की सुंदरता को और भी खास बना देती हैं। अगर आप यहां आएं तो लिविंग रूट ब्रिज, साफसुथरे वॉकवे, झरने और पारंपरिक बांस से बने घरों को जरूर देखेंये अनुभव आपके दिल में बस जाएंगे।

हिमाचल प्रदेश की स्पीति वैली में बसा नोक गांव

स्पीति का शांत गांव: मानसून में सुकून और प्राकृतिक सुंदरता का अनोखा संगम स्पीति की ऊंचाई पर बसा यह छोटा सा गांव मानसून के दौरान बेहद शांत, ठंडा और मनमोहक नजारा पेश करता है। यहां की संस्कृति और प्राकृतिक सौंदर्य आत्मा को गहराई से छू लेते हैं। गांव के निवासी बौद्ध परंपराओं से जुड़े हैं, और यहां की शांतिपूर्ण जीवनशैली मन को सुकून देती है।

मानसून में आप यहां बादलों में लिपटे पहाड़, ठंडी ताज़ा हवा और शुद्ध वातावरण का भरपूर आनंद ले सकते हैं। भले ही यह जगह बड़े टूरिस्ट डेस्टिनेशन जैसी न हो, लेकिन यहां के पारंपरिक घर, बर्फ से ढकी चोटियां और स्थानीय बौद्ध मठ आपके सफर को बेहद खास बना देंगे।

केरल का इडुक्की भी है शानदार

मानसून में खिल उठता है केरल का इडुक्की, हरियाली और झरनों का जादुई संगम केरल का इडुक्की क्षेत्र मानसून के आते ही एक नई खूबसूरती में ढल जाता है। बारिश के मौसम में यहां की वादियां हरी मखमली चादर ओढ़ लेती हैं और झरनों की गूंज पूरे वातावरण को संगीतमय बना देती है।

यहां की खास बात है इसकी लाजवाब हरियाली, पहाड़ी इलाका, चाय के बागान और झरने, जो हर प्रकृति प्रेमी को आकर्षित करते हैं। इडुक्की डैम, वागामोन की हरी वादियां, चाय बागानों की खुशबू और वाइल्डलाइफ सैंक्चुअरी की रोमांचक सैर यहां के मुख्य आकर्षण हैं।

नागालैंड के खोनोंमा की कर आएं सैर

खोनोंमा: भारत का पहला ग्रीन विलेज, जहां प्रकृति और संस्कृति साथ चलते हैं नागालैंड का खोनोंमा गांव भारत का पहला ग्रीन विलेज माना जाता है। यह सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति लोगों की जागरूकता के लिए भी जाना जाता है। यहां के लोग जंगलों की कटाई से दूर रहते हैं और जैव विविधता को बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं।मानसून के दौरान यहां हल्की बारिश के बीच हरियाली और समृद्ध लोक संस्कृति का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस गांव में आप टेरेस फार्मिंग, पारंपरिक नागा आर्किटेक्चर और जीवंत नागा संस्कृति को करीब से अनुभव कर सकते हैं।

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