क्रिकेट पर कई फिल्में बनी हैं, क्योंकि भारत में क्रिकेट को लेकर लोगों की दीवानगी अद्वितीय है। अब टी-20 वर्ल्डकप से पहले क्रिकेट पर एक और फिल्म रिलीज हो गई है, जिसमें राजकुमार राव और जान्हवी कपूर ने मुख्य भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं कि क्रिकेट के इस जुनून पर बनी यह नई फिल्म कैसी है।
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Mr and Mrs Mahi Review: भारत में क्रिकेट और बॉलीवुड का क्रेज एक अलग ही स्तर पर है। अगर आप किसी बच्चे से पूछें कि वह बड़ा होकर क्या बनना चाहता है, तो उसका जवाब या तो क्रिकेटर होगा या अभिनेता। यह ख्वाब भारत में करोड़ों लोग देखते हैं। हालांकि, यह जरूरी नहीं कि सारे ख्वाब सच हों, लेकिन कब किसका ख्वाब हकीकत बन जाए, यह भी नहीं कहा जा सकता। भारत में क्रिकेट को एक धर्म की तरह माना जाता है, और कुछ क्रिकेटर्स तो फैन्स की नजर में भगवान से कम नहीं हैं। एक दौर था जब सचिन तेंदुलकर को भगवान कहा गया। फिर महेंद्र सिंह धोनी का दौर आया, जिन्हें क्रिकेट की दुनिया में एक चमत्कार माना गया। इसी माही के नाम पर आधारित है राजकुमार राव और जान्हवी कपूर की फिल्म ‘मिस्टर एंड मिसेज माही’। आइए जानते हैं कि यह फिल्म कैसी है और क्रिकेट पर बनी बाकी फिल्मों से कितनी अलग है।
क्या है कहानी?
फिल्म की कहानी महिमा और महेंद्र नामक एक कपल की है, जिनका रिश्ता क्रिकेट से जुड़ा हुआ है। महेंद्र अपने समय में क्रिकेट खेल चुका है और महिमा भी क्रिकेट खेलने में माहिर है। लेकिन समय बीतने के साथ उनके इस शौक को दबा दिया गया और दोनों अपने-अपने जीवन में आगे बढ़ गए। उनकी अरेंज मैरिज हो गई। अब फिल्म की शुरुआत यहीं से होती है। महेंद्र अपने पिता की बड़ी स्पोर्ट्स इक्विपमेंट्स की दुकान संभालता है और उनके ताने सुनता है। उसका एक छोटा भाई है जो स्टार है और जिसने अपना नाम कमा लिया है। पिता भी छोटे बेटे को ही तवज्जो देते हैं, जिससे महेंद्र को तकलीफ होती है। ऐसे में वह जीवन के एक कठिन मोड़ पर बड़ा फैसला लेता है और फिर से क्रिकेट की तरफ लौटने का निर्णय करता है। लेकिन अब चीजें बदल चुकी हैं, वक्त और माहौल दोनों ही आगे बढ़ चुके हैं। महेंद्र इस चुनौती का सामना कैसे करेगा और इसमें उसकी पत्नी महिमा का कितना सहयोग मिलेगा, यही फिल्म की मुख्य कहानी है।
एक्टिंग कैसी है?
फिल्म में राजकुमार राव ने अपने किरदार को बेहतरीन ढंग से निभाया है, और जान्हवी कपूर ने भी इस चुनौती को अच्छी तरह से स्वीकार किया है। ‘गुंजन सक्सेना’ बायोपिक और ‘गुड लक जैरी’ के बाद, इस फिल्म में जान्हवी की शानदार अभिनय क्षमता देखने को मिली है। इसके अलावा, कुमुद मिश्रा ने महेंद्र के पिता के रूप में एक प्रभावशाली भूमिका निभाई है। फिल्म में बड़ी कास्ट नहीं है, और मुख्यतः फिल्म की लंबाई राजकुमार राव और जान्हवी कपूर के किरदारों पर ही केंद्रित है।
कहां रह गई कमी?
फिल्म में कई खामियां हैं। सबसे पहले, क्रिकेट पर पहले ही कई फिल्में बन चुकी हैं, जिससे इस फिल्म में कोई नयापन नहीं दिखता। हर क्रिकेट की कहानी लगभग एक जैसी होती है। इसे थोड़ा मसालेदार बनाने के लिए रोमांस का तड़का लगाया गया है, लेकिन वह भी कई जगह अनावश्यक लगता है। राजकुमार राव का किरदार काफी उलझा हुआ दिखाया गया है। वह अपनी महत्वाकांक्षाओं में फंसे नजर आते हैं, लेकिन जो आकांक्षा उनके मन में दब गई थी या कहें मर गई थी, उसे दोबारा जगाने के लिए एक बड़े धक्के की जरूरत थी, जो फिल्म की कहानी में गायब है। इस कारण, कई जगह फिल्म निराश करती है और ऐसा लगता है कि इसे सिर्फ क्रिकेट के मौजूदा माहौल को देखते हुए बना दिया गया है।
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किसी भी फिल्म की सफलता के लिए उसकी कास्टिंग का बहुत महत्व होता है। इस फिल्म की कास्टिंग में एक बड़ी कमी रह गई है। इसमें कोई ऐसा किरदार नहीं है जो माहौल बना सके। नीरस कहानी में जान डालने के लिए एक मजाकिया किरदार अक्सर आवश्यक होता है, जो दर्शकों का मनोरंजन भी करता है। लेकिन इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं है। थोड़ा बहुत यह काम फिल्म के डायलॉग्स ने किया है। इसके अलावा, ऐसी कहानियां हमेशा से प्रेडिक्टेबल होती हैं और कई फिल्में इसी ट्रैक पर बन चुकी हैं। यही कारण है कि बीच-बीच में फिल्म देखने में दिलचस्पी कम हो सकती है।
देखें कि नहीं
इस फिल्म को देखने वालों में क्रिकेट प्रशंसक, जान्हवी कपूर के फैंस, और राजकुमार राव के फैंस प्रमुख होंगे। हालांकि, क्रिकेट प्रशंसक इस फिल्म को देखकर निराश हो सकते हैं। जान्हवी की एक्टिंग के लिए इस फिल्म को एक बार देखा जा सकता है, और राजकुमार राव ने अपने किरदार को ठीक से निभाया है। लेकिन फिल्म में ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे देखने के लिए दर्शकों के मन में उत्सुकता जागे। अगर महिला क्रिकेट को बढ़ावा देना ही उद्देश्य था, तो किसी महिला क्रिकेटर की बायोपिक बनाना बेहतर होता।