SBI Personal Loan New Regulations: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अनसिक्योर्ड लोन के लिए नए नियम लागू किए हैं। ये नियम 16 नवंबर 2023 से प्रभावी हुए हैं। इन नियमों के अनुसार, बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) को अनसिक्योर्ड लोन के लिए अधिक जोखिम उठाना होगा। इसका अर्थ है कि इन संस्थानों को इन लोन के लिए अधिक पूंजी रखनी होगी।

नियमों के प्रभाव से, पर्सनल लोन और अन्य अनसिक्योर्ड लोन में पहले के मुकाबले बढ़ावा हो सकता है। बैंकों और NBFC को अधिक पूंजी रखने के कारण, वे इन लोन पर अधिक ब्याज वसूल सकते हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कंज्यूमर क्रेडिट में रिस्क वेटेज को 100% से बढ़ाकर 125% कर दिया है। यह परिवर्तन 1 दिसंबर 2023 से प्रभावी हुआ है।

इस बदलाव का क्या प्रभाव होगा?

इस परिवर्तन का मुख्य प्रभाव यह होगा कि बैंकों और NBFC को कंज्यूमर लोन के लिए अधिक पूंजी रखनी होगी। इसका अर्थ है कि उन्हें इन लोन पर अधिक ब्याज वसूलना पड़ सकता है।

इसके अतिरिक्त, यह परिवर्तन कंज्यूमर लोन की उपलब्धता को भी कम कर सकता है। बैंकों और NBFC को इन लोन पर अधिक जोखिम उठाने की आवश्यकता के कारण, वे कम लोगों को कंज्यूमर लोन दे सकते हैं।

पर्सनल लोन की लागत वृद्धि हुई

पहले, यदि कोई व्यक्ति ₹100 का पर्सनल लोन लेता था, तो बैंक को 100% का रिस्क वेटेज यानी ₹100 का रिस्क वेटेज रखना होता था। लेकिन RBI द्वारा रिस्क वेटेज को 125% कर दिया गया है। इसका मतलब है कि अब ₹100 का पर्सनल लोन लेने पर बैंक को ₹125 का रिस्क वेटेज रखना होगा।

यह परिवर्तन बैंकों के लिए पर्सनल लोन की लागत को बढ़ाएगा, क्योंकि उन्हें अब इन लोन पर अधिक पूंजी रखनी होगी। इसका प्रत्यक्ष परिणाम ग्राहकों पर पड़ेगा क्योंकि उन्हें लोन पर अधिक ब्याज का भुगतान करना पड़ेगा। विभिन्न बैंकों में पर्सनल लोन की ब्याज दरें भिन्न-भिन्न होती हैं। बैंक लोन की ब्याज दरें कई कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे कि बैंक की पूंजी की स्थिति, बाजार में प्रतिस्पर्धा का स्तर, और कर्जदार की क्रेडिट रेटिंग।

भारतीय रिजर्व बैंक ने अलर्ट दिया था

हालाँकि यह सत्य है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने असुरक्षित पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड रिसिवेबल्स से जुड़े बढ़ते जोखिमों को लेकर बैंकों को चेताया था। इसके बाद, RBI ने बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए कुछ नियमों में परिवर्तन किया है।

इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य

असुरक्षित पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड रिसिवेबल्स से जुड़े जोखिमों को कम करना।
बैंकों और NBFC को इन लोन पर अधिक पूंजी रखने के लिए प्रोत्साहित करना।
ग्राहकों को इन लोन से होने वाले नुकसान से बचाना।

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कुछ लोन योजना पर नियम अमान्य होगा

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा अनसिक्योर्ड लोन पर रिस्क वेटेज बढ़ाने का नियम केवल अनसिक्योर्ड लोन पर ही लागू होगा। हाउसिंग और एसएमई लोन जैसे प्रायरिटी सेक्टर के लिए ये प्रावधान लागू नहीं होगा। साथ ही होम लोन, ऑटो लोन या एजुकेशन लोन पर भी ये नियम लागू नहीं किया जाएगा।

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