बॉलीवुड के किंग खान को दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने मानद डॉक्ट्रेट की उपाधि देने की गुज़ारिश की, लेकिन मोदी सरकार ने इस गुज़ारिश को नकार दिया। सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय ने इस गुज़ारिश को यह कहते हुए ख़ारिज कर दिया कि शाहरुख़ ख़ान को मौलाना आज़ाद उर्दू विश्विद्यालय की ओर से एक ऐसी ही डिग्री दी गयी थी। हालांकि बड़ी हस्तियों को इस तरह की उपाधि दिए जाने पर किसी प्रकार की रोक का प्रावधान नहीं है।

साल 2018 के फरवरी में जामिया ने यह दरख्वास्त की थी।

हायर एजुकेशन सेक्रेटरी आर सुब्रमण्यम से जब इस विषय के बारे में पूछा गया तो उन्होंने सरकार की नीति का हवाला देते हुए कहा कि हम एक ही व्यक्ति को दो मानद डिग्री दिए जाने के चलन को बढ़ावा नहीं देते। सुब्रमण्यम स्वामी ने यह भी कहा कि यूजीसी की ओर से इस बारे में किसी भी तरह के नियम नहीं बनाए गए हैं।

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गौरतलब है कि शाहरुख 1988-90 में जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में जनसंचार कोर्स में मास्टर्स के छात्र थे। हालांकि शाहरुख़ की कम उपस्थिति को देखते हुए प्रबंधन ने उन्हें फ़ाइनल एग्ज़ाम देने से रोक दिया था।

साल 2018 के फरवरी में जामिया की ओर से शाहरुख खान को एक लिखित सन्देश भेजा गया, जिसमें शाहरुख़ को जामिया के सबसे ख़ास एवं प्रतिष्ठित छात्र बताते हुए विश्वविद्यालय ने उन्हें मानद डॉक्ट्रेट देने की पेशकश की। शाहरुख़ ने इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए 17 फरवरी 2018 को जवाब में जामिया को लिखा कि ‘इसे क़ुबूल करना गर्व की बात होगी।’

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जानकारी के अधिकार एक्ट के जवाब में जामिया ने बताया, ‘जामिया मिलिया इस्लामिया ने शाहरुख खान को मानद डिग्री देने के लिए एचआरडी मिनिस्ट्री को लिखा।’ जामिया प्रबंधन के मुताबिक, मंत्रालय इस बात को यह कहते हुए नकार दिया कि ऐसी ही मानद डिग्री शाहरुख को 2016 में मौलाना आजाद उर्दू यूनिवर्सिटी की ओर से दी गई थी।

Source: dailyhunt.in

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