इंडो-पाक संघर्षों का शेयर बाजार पर असर : पिछले 25 से 26 सालों में भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल युद्ध से लेकर पुलवामा हमले तक पांच बड़े टकराव देखने को मिल चुके हैं। हालांकि, इन तनावपूर्ण हालातों के दौरान शेयर बाजार पर ज्यादा असर नहीं पड़ा, जितना उम्मीद की जाती थी। अक्सर सीमा पार से आने वाली खबरों के बावजूद बाजार की स्थिरता बनी रही। आइए समझते हैं कि अगर पहलगाम हमले के बाद हालात युद्ध की तरफ बढ़ते हैं, तो शेयर बाजार पर इसका क्या असर पड़ सकता है।

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद से दोनों देशों के शेयर बाजारों में दबाव नजर आया। हालांकि, कराची स्टॉक एक्सचेंज में गिरावट ज्यादा देखने को मिली, जबकि मुंबई के दलाल स्ट्रीट पर उतनी तेजी से गिरावट नहीं आई। पिछले दो कारोबारी दिनों में सेंसेक्स और निफ्टी दोनों में दबाव रहा। इसकी वजह भी साफ हैभारत सरकार ने इन दो दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा और पाकिस्तान को जवाब देने के लिए लगातार हाईलेवल मीटिंग्स की हैं।

इन बैठकों के बीच पाकिस्तान के संचार मंत्री तक को यह बयान देना पड़ा कि भारत अगले 24 से 36 घंटों में सैन्य कार्रवाई कर सकता है। इस बीच, सीमा पर पाकिस्तान की ओर से सीजफायर उल्लंघन की खबरें आ रही हैं, जिसका भारतीय सेना मुंहतोड़ जवाब दे रही है। अब बड़ा सवाल यह है कि अगर भारतपाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है, तो शेयर बाजार पर क्या असर पड़ेगा? क्या बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिलेगी?

इन सवालों का जवाब पाने के लिए हमें इतिहास में झांकना होगाजब करगिल युद्ध हुआ था, संसद पर हमला हुआ था, मुंबई में ताज होटल पर आतंकी हमला हुआ था, उरी हमला और उसके बाद हुई सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी, और हाल में पुलवामा अटैक हुआ था। इन सभी घटनाओं के दौरान शेयर बाजार में भारी उतारचढ़ाव देखने को मिला था। आइए जानते हैं कि इन पांच घटनाओं के वक्त बाजार का रुख कैसा रहा।

पिछले पांच संघर्षों में भारतीय बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा है?

पुलवामा हमला 2019: पुलवामा अटैक के बाद 2019 में भारतीय शेयर बाजार में गिरावट दर्ज की गई। 14 फरवरी से 1 मार्च के बीच सेंसेक्स और निफ्टी में 1.8 फीसदी से ज्यादा की गिरावट देखने को मिली।

उरी हमला और सर्जिकल स्ट्राइक 2016: 18 से 26 सितंबर के बीच, जब आतंकवादियों ने जम्मूकश्मीर के उरी में सेना के कैंप पर हमला किया, भारतीय शेयर बाजार में 2 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट दर्ज की गई। इसके बाद भारत ने नियंत्रण रेखा पार कर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकी लॉन्च पैड्स पर सर्जिकल स्ट्राइक कर करारा जवाब दिया।

मुंबई 26/11 आतंकी हमला 2008: 2008 में मुंबई पर आतंकी हमले के बावजूद भारतीय शेयर बाजार ने सकारात्मक रुख दिखाया। हमले के दो दिनों में सेंसेक्स करीब 400 अंक ऊपर चढ़ा, जबकि निफ्टी में 100 अंकों की बढ़त दर्ज की गई।

भारतीय संसद पर हमला 2001: 2001 में भारतीय संसद पर हमले के बाद भारतीय बेंचमार्क सूचकांकों में अचानक गिरावट आई, लेकिन जैसे ही स्थिति सामान्य होने की जानकारी मिली, सेंसेक्स और निफ्टी दोनों ने अपने नुकसान की भरपाई कर ली। सेंसेक्स में 0.7 प्रतिशत और निफ्टी में 0.8 प्रतिशत की गिरावट देखी गई।

कारगिल युद्ध 1999: कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय बाजार ने मजबूती दिखाई, और 3 मई, 1999 से 26 जुलाई, 1999 तक केवल 0.8 प्रतिशत की हल्की गिरावट देखी गई।

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अभी निवशक क्या करें?

आनंद राठी की एक रिपोर्ट के अनुसार, संघर्षों के दौरान शेयर बाजार में आम तौर पर औसतन 7 प्रतिशत तक करेक्शन देखने को मिलता है, जिसमें औसत करेक्शन 3 प्रतिशत का होता है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ऐतिहासिक उदाहरणों और मौजूदा वैश्विक बाजार परिस्थितियों के आधार पर, यदि बाजार में पर्याप्त वृद्धि होती है, तो हमारा मानना है कि निफ्टी 50 में 5-10 प्रतिशत से अधिक करेक्शन की संभावना नहीं है। वर्तमान में 65:35:20 रणनीति का पालन करने वाले निवेशकों को अपने आवंटन को बनाए रखना चाहिए। जिन निवेशकों के पोर्टफोलियो में इक्विटी में कमी है, उन्हें अब निवेश करना चाहिए ताकि वे 65:35:20 के रणनीतिक आवंटन के अनुसार अपनी स्थिति बना सकें।

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